Chhattisgarh: सरकार बदलते ही लोगों को रोजगार देने वाली 20 करोड़ रुपये की ये योजना हुई बदहाल

CG News: कोरिया जिले के लोगों को सरकार की रीपा प्रोजक्ट का फल नहीं मिल रहा है. जिले में कुल 10 प्रोजेक्ट शुरू हुए थे, लेकिन किसी एक का भी लाभ लोगों को नहीं मिल पाया है.

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Ripa Project in CG: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोरिया (Koria) जिले में महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (RIPA) प्रोजेक्ट पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है. रीपा में स्वीकृत निर्माण कार्यों से लेकर यहां चल रही गतिविधियां पूरी तरह से बंद पड़ी है. कोरिया और एमसीबी (Koria and MCB) जिले में कुल 10 रीपा प्रोजेक्ट शुरू हुए थे, लेकिन प्रोजेक्ट का कोई खास फायदा नहीं मिल सका... इन प्रोजेक्ट्स पर 20 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए. अब हालात यह है कि ग्रामीण औद्योगिक पार्क (Rural Industrial Park) वीरान पड़े हैं. इसमें महीनों से ताला लगा हुआ है. रीपा प्रदेश में कांग्रेस सरकार (Congress Government) के कार्यकाल में ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किए गए थे. 

बदहाल हुआ कांग्रेस का रीपा प्रोजेक्ट

बर्बाद हो गया सरकार का पैसा

आपको बता दें कि यहां गोबर पेंट इकाई, पेबर ब्लाक, फ्लाई एस ब्रिक्स, पेपर कप, बोरी बैग समेत अन्य उत्पादों का निर्माण शुरू कर स्वं सहायता समूहों को लाभ मिलने का दावा किया गया था, लेकिन यह सब बीते 6 महीने से बंद पड़े हैं. कोरिया व एमसीबी जिले के रीपा प्रोजेक्ट का जब जायजा लिया गया, तो पार्क के मुख्य गेट तो खुले मिले, लेकिन अंदर कोई नहीं था. उत्पादन के सभी कक्षों में ताला लगा हुआ था. पार्क के आसपास रहने वाले ग्रामीणों का कहना था कि पार्क काफी समय से बंद है. यहां क्या उत्पादन होता, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. यहां काम करने वाली गांव की स्वं सहायता समूह की महिलाओं ने नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि उन्होंने शुरू के दिनों में काम किया, लेकिन अब अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. 

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इन ग्राम पंचायतों ने बताई सच्चाई

  • ग्राम पंचायत आनी में रीपा परिक्षेत्र में मसाला उत्पादन यूनिट, दूध, बेकरी और मिलेट यूनिट 6 महीने से बंद है. पूछने पर आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि यहां क्या होता है, क्या बनता है, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. जानवरों के लिए बने नाद खाली पड़े थे. स्वं सहायता समूह मशरूम शेड, मुर्गी और बकरी पालन शेड बंद हैं. बकरी शेड में कबाड़ पड़े मिले. वहीं, केवीके दुग्ध यूनिट भी शिफ्ट नहीं हो सकी.
  • ग्राम पंचायत पिपरिया के रीपा प्रोजेक्ट में सभी यूनिट में ताला लगा हुआ है. फ्लाई ऐश ईंट और गोबर पेंट से लेकर हर तरह का निर्माण बंद पड़ा है. अन्य उत्पाद भी तैयार नहीं हो रहे हैं. देखने पर लगा कि यहां लंबे समय से कार्य नहीं चल रहा है. सरपंच ललिता बाई से सवाल करने पर उन्होंने कहा कि खेती का समय है, इसलिए बारिश के शुरुआत से ही रीपा बंद है. 

20 करोड़ रुपये की योजना हुई ठप

  • ग्राम पंचायत मझगवां में रीपा प्रोजेक्ट के तहत गोबर पेंट इकाई, पेबर ब्लाक, फ्लाई एस ब्रिक्स, पेपर कप, बोरी बैग समेत अन्य उत्पाद शुरू किए गए थे, लेकिन यहां सब कुछ बंद पड़ा है. ग्रामीणों से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कुछ महीनों से कार्य बंद है. यहां सभी कक्षों में ताला लगा हुआ है. पार्क का मुख्य गेट तो खुला था, लेकिन अंदर सुरक्षा के लिए चौकीदार तक नहीं है. यहां स्वीकृत निर्माण भी अधूरे पड़े हैं.
  • जिला पंचायत सीईओ आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा कि ऐसा कहना बिल्कुल भी उचित नहीं है कि रीपा प्रोजेक्ट 6 महीने से बंद हैं. जो भी उत्पाद वहां बनाया जाता है डिमांड के आधार पर किया जाता है. जैसे ही डिमांड आती हैं महिला स्व सहायता समूह डिमांड के अनुसार उत्पाद बनाती हैं, इनके द्वारा दिन तय किया गया है, तय दिन तय समय पर रीपा खुलते हैं, कुछ दिन पहले तक धान रोपाई में ग्रामीणों के व्यस्त होने से भी कार्य प्रभावित हो रहे हैं. 
  • पीसीसी सदस्य योगेश शुक्ला ने कहा कि रीपा महत्वकांक्षी योजना थी, जिससे ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को जोड़ा गया था, लेकिन प्रदेश में जब से भाजपा की सरकार आई है योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. मशीनों और रीपा केंद्रों को अराजक तत्व नुकसान पहुंचा रहे हैं.

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