Ujjwala Yojana: इस संरक्षित आदिवासी समाज तक नहीं पहुंची उज्ज्वला, चूल्हे पर धुंए में खाना पकाने को हैं मजबूर

Chhattisgarh News: कवर्धा जिले के अति पिछड़ा जनजाति बैगा समाज आज भी अपने घर में चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी की मदद लेता है. इन लोगों को उज्ज्वला योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. 

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Kawardha News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कबीरधाम (Kabirdham) जिले के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले बैगा समाज (Baiga Samaj) के लोगों को केंद्र सरकार की महत्त्वपूर्ण उज्ज्वला योजना (Ujjwala Yojana) का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते इस समाज के लोग लकड़ी के भरोसे चूल्हे में खाना बना रहे है. जिम्मेदारों की उदासीनता व प्रचार प्रसार की कमी के चलते उज्जवला योजना का समुचित लाभ ये लोग नहीं ले पा रहे हैं. पूरा मामला कबीरधाम जिले के बोड़ला ब्लॉक अंतर्गत तरेगांव क्षेत्र का हैं. 

गांव तक पहुंच चुकी है गैस कंपनी

तरेगांव क्षेत्र के 16 ग्राम पंचायत के लगभग 60 गांव के जनजाति समाज के लोगों को उज्ज्वला योजना से जोड़ने और उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए आदिमजाति सेवा सहकारी समिति के माध्यम से HP गैस एजेंसी स्थापित की गई है. कागजी रिकॉर्ड की मानें, तो यहां 2207 हितग्राहियों के नाम पर गैस कनेक्शन बनाया गया है. लेकिन, हकीकत कुछ और ही है. ग्राम भरतपुर के नारद सिंह और उनकी पत्नी ने बताया कि गांव में चार साल से गैस गोदाम खुला है, लेकिन उन्हें आज तक गैस कनेक्सन नहीं मिला है. ऐसे में जंगल से लकड़ी लाते हैं, जो कच्चा रहता है, जिसे जलाने में परेशानी होती है.

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उज्जवला योजना से सरकार गरीबी रेखा के नीचे वाले परिवार की महिलाओं को स्वच्छ खाना बनाने, निःशुल्क धुंआ रहित इंधम उपलब्ध कराने और महिलाओं को शसक्त बनाने में मदद करना चाहती है. वायु प्रदूषण को रोकना और वायु प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से बचाना. इसके साथ ही वनों की कटाई को रोकना. 

मामले पर संचालक का बयान

पूरे मामले को लेकर संचालक का कहना है कि गैस कनेक्सन सभी जगह पहुंच रहा है, लेकिन जंगली क्षेत्र होने के कारण यहां के लोग लकड़ी का ज्यादा उपयोग करते हैं. लोगों के पास आय की भी कमी है, जिसके चलते रिफिलिंग नहीं होता. मंहगाई भी एक कारण है. इधर 60 गांव में 2207 कनेक्सन जो दिया गया है, उसमें मुश्किल से 30 से 35 लोग ही महीने में रिफिलिंग कराते है.

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खाद्य अधिकारी का बयान

खाद्य अधिकारी का कहना है कि सभी कनेक्सन चालू स्थिति में है. रिफिलिंग का प्रतिशत कम है. समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाई जाती है, लेकिन एक बार कनेक्सन इशु होने के बाद वह उनका व्यक्तिगत मामला है. चाहे वे रिफिल कराए या न कराए.

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