बच्चों को गोद में लेकर आंदोलन पर निकले छत्तीसगढ़ के ये चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, क्या अब इनकी मांगे मानेगी सरकार!

Fourth Class Employees Movement : चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर अब खुलकर मोर्चा खोल दिया. बस्तर जिला स्कूल, आश्रम, छात्रावास शासकीय चतुर्थ वर्ग कर्मचारी कल्याण संघ के बैनर तले कर्मचारियों ने एक बार फिर आंदोलन तेज कर दिया.

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CG News : Fourth Class Employees Movement अपने हक की मांग में कर्मचारियों ने बच्चों को गोद में लेकर शुरू किया पैदल मार्च

Fourth Class Employees Movement : छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के सरकारी स्कूल, आश्रम व छात्रावासों में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी वर्षों से अपने नियमित वेतनमान और नियमितीकरण की मांग को लेकर संघर्षरत हैं. अब इस मांग को लेकर बस्तर जिला स्कूल, आश्रम, छात्रावास शासकीय चतुर्थ वर्ग कर्मचारी कल्याण संघ के बैनर तले कर्मचारियों ने एक बार फिर आंदोलन तेज कर दिया.

संघ के सदस्य परमानंद मौर्य ने बताया कि यह पदयात्रा 1 जून से शुरू हुई थी, जिसमें अलग-अलग जिलों और गांवों से कर्मचारी सम्मिलित होते गए. 2 जून को यह यात्रा कोंडागांव जिले के बनियागांव तक पहुंची थी. इस बीच कर्मचारियों ने अपने विभागीय अधिकारियों से लगातार संपर्क किया, लेकिन बार-बार प्रयास के बावजूद उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया.

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उन्होंने कहा कि कई बार मिलने के बावजूद सिर्फ आश्वासन मिला, कार्रवाई कुछ नहीं. इससे नाराज़ होकर आंदोलन को एक बार स्थगित किया गया था, लेकिन अब 24 जून से पुनः पदयात्रा शुरू की गई है, जो रायपुर विधानसभा घेराव तक जारी रहेगी.

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2014 से सेवा में फिर भी नहीं मिला वेतनमान

परमानंद मौर्य ने बताया कि वर्ष 2014 में सीधी भर्ती के जरिए कई कर्मचारी नियुक्त हुए थे. इनमें से कुछ को नियमित वेतनमान दे दिया गया, जबकि 2018 में भी कई कर्मचारी इस प्रक्रिया से वंचित रह गए. कई कर्मचारी 10 साल की सेवा के बावजूद आज भी अनियमित स्थिति में कार्य कर रहे हैं, जो न्यायसंगत नहीं है.

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महिलाएं, दिव्यांग कर्मचारी और बच्चे भी कर रहे हैं संघर्ष

इस पदयात्रा की सबसे मार्मिक बात यह है कि इसमें महिला कर्मचारी, विकलांग साथी, छोटे बच्चे और यहां तक कि चार से छह महीने के दुधमुंहे शिशु भी शामिल हैं. एक महिला कर्मचारी ने बताया कि “हम सिर्फ अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं. हमारे पास बच्चों को घर पर छोड़ने का भी विकल्प नहीं है. उन्हें लेकर ही हम इस लंबी यात्रा पर निकले हैं.”

दिव्यांग कर्मचारियों ने भी साफ कहा है कि यदि वर्षों की सेवा के बावजूद हमें सम्मानजनक वेतन और स्थायित्व नहीं मिला, तो यह हमारे आत्मसम्मान पर चोट है.

शासन-प्रशासन से अपील

संघ का कहना है कि यदि रायपुर पहुंचकर भी सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती, तो वे अनिश्चितकालीन धरना देने को मजबूर होंगे. कर्मचारियों का यह भी कहना है कि वे राजनीतिक या दलगत सोच से प्रेरित नहीं, बल्कि अपनी रोज़ी-रोटी और भविष्य के लिए यह संघर्ष कर रहे हैं. कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वे इस विषय में हस्तक्षेप करें और जल्द से जल्द सभी कर्मचारियों का नियमितीकरण एवं वेतनमान लागू किया जाए.

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