Niyad Nellanar Scheme Success Story: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर (Narayanpur) जिले का अबूझमाड़, जिसे कभी नक्सलवाद का गढ़ माना जाता था, आज विकास की एक नई इबारत लिख रहा है. कल तक जिन हाथों में विनाश की बंदूकें थीं, आज उन्हीं हाथों में विकास की सिलाई मशीनें हैं. सरकार की 'पूना मार्गेम' और 'नियाद नेल्लानार' (Niyad Nellanar Yojana) जैसी योजनाओं के असर से अब पूर्व नक्सली मुख्यधारा में लौटकर न केवल हुनरमंद बन रहे हैं, बल्कि समाज में सम्मानजनक जीवन जीने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं.
लाइवलीहुड कॉलेज बदलाव का सबसे बड़ा केंद्र
नारायणपुर का लाइवलीहुड कॉलेज आज बदलाव का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है. यहां का सिलाई प्रशिक्षण केंद्र उन चेहरों की मुस्कान वापस ला रहा है, जो कभी जंगलों के अंधकार में खो गए थे. शासन की पुनर्वास नीति "पूना मार्गेम" के तहत आत्मसमर्पण करने वाले पूर्व नक्सली अब कपड़ों पर हुनर के टांके लगा रहे हैं. कोई स्कूल ड्रेस सिलना सीख रहा है, तो कोई पैंट-शर्ट और साड़ी-फॉल का काम.
Niyad Nellanar Yojana: बदलाव की कहानी
"नियाद नेल्लानार" योजना के जरिए अबूझमाड़ के दुर्गम इलाकों तक सड़क, बिजली, पानी और नेटवर्क जैसी सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं. वहीं, सुरक्षा बलों की मुस्तैदी ने नक्सलियों को बैकफुट पर धकेल दिया है.
Niyad Nellanar Yojana: बदलाव की तस्वीर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस पूरी प्रतिबद्धता से जुटी हुई है. जिससे साफ है कि विकास, सुरक्षा और पुनर्वास की त्रिवेणी ने बस्तर की तस्वीर बदल दी है. अब अबूझमाड़ की पहचान बारूद से नहीं, बल्कि स्वावलंबन और चमकते छत्तीसगढ़ के संकल्प से हो रही है.
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