झोलाछाप डॉक्टर के चलते हुई मासूम की मौत, 11 दिन तक हॉस्टल स्टाफ करता रहा हीला हवाला 

Chhattisgarh News in Hindi : 12 वर्षीय छात्र आयुष कंवर की मौत झोलाछाप डॉक्टर के इलाज की लापरवाही के कारण हो गई. आयुष की मौत के बाद प्रशासनिक और प्रबंधन स्तर पर की गई अनदेखी ने पूरे मामले को और भी गंभीर बना दिया है.

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नकली इंजेक्शन से हुई मासूम की मौत, 11 दिन तक हॉस्टल स्टाफ करता रहा हीला हवाला 

Chhattisgarh News in Hindi : आदिम जाति कल्याण विभाग के टीकरकला छात्रावास में रहने वाले 12 वर्षीय छात्र आयुष कंवर की मौत झोलाछाप डॉक्टर के इलाज की लापरवाही के कारण हो गई. आयुष की मौत के बाद प्रशासनिक और प्रबंधन स्तर पर की गई अनदेखी ने पूरे मामले को और भी गंभीर बना दिया है. आयुष कंवर, जो कि गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के गोरिल्ला विकासखंड के लोहाराझोरकी स्कूल में कक्षा 6वीं का छात्र था. आदिम जाति कल्याण विभाग के टीकरकला छात्रावास में रह रहा था. 10 दिन पहले आयुष को मामूली सर्दी-जुकाम की शिकायत हुई. छात्रावास प्रबंधन ने उसे बिना उचित इलाज कराए और उसके परिजनों को बुलाकर घर भेज दिया.

इलाज में हुई लापरवाही

परिजनों ने आयुष को झोलाछाप डॉक्टर चंद्रभान के पास ले जाकर इलाज कराया. झोलाछाप डॉक्टर ने उसे इंजेक्शन लगाया, जिससे उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई. इलाज के दौरान ही आयुष की मौत हो गई. छात्रावास प्रबंधन और आदिम जाति विकास कल्याण विभाग ने पूरे मामले को पिछले 11 दिनों से दबाए रखा और प्रशासन को घटना की जानकारी नहीं दी.

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प्रबंधन की भी अनदेखी

घटना के 12 दिन बीत जाने के बावजूद छात्रावास अधीक्षक ने न तो परिजनों से पड़ताल की और न ही आदिम जाति कल्याण विभाग और जिला प्रशासन को मामले की जानकारी दी. इस घटना ने छात्रावास प्रबंधन और प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर के रख दिया है.

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प्रशासन ने दी प्रतिक्रिया

जब अन्य किसी स्कूल के छात्रावास अधीक्षक के माध्यम से टीकरकला छात्रावास अधीक्षक को मामले की जानकारी मिली, तो उसने परिजनों से पड़ताल नहीं की. आदिम जाति कल्याण विभाग ने मामले को जानने के बावजूद छुपाने की कोशिश की. हालांकि, मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने इसे गंभीर मानते हुए पूरे मामले की जांच और कार्रवाई की बात कही है.

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छात्रावास में रहने वाले छात्रों के स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था महीने में एक बार होती है, लेकिन आदिम जाति कल्याण विभाग ने छात्राओं की सुविधाओं में कटौती कर रखी है. इससे साफ है कि उनकी स्वास्थ्य सुविधाओं की अनदेखी की जा रही है, जो कि एक बड़ा सवाल खड़ा करता है.

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