नक्सलियों का नया पत्र...लिखा- बसवराजू की मौत के बाद नहीं बना है कोई महासचिव,कठिन स्थिति का सामना कर रहा है संगठन 

Naxalites Letter: नक्सलियों की ओडिशा राज्य कमेटी ने एक पत्र जारी किया है. पत्र में लिखा है कि महासचिव बसवराजू की मौत के बाद संगठन में कोई भी महासचिव नहीं है. 

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नक्सली देवजी के महासचिव बन जाने का चर्चा थी... जिसे नक्सलियों की ओडिशा स्टेट कमेटी ने नकार दिया है.

Naxalites In Chhattisgarh: नक्सली बसवराजू के एनकाउंटर के बाद नक्सल संगठन में अब तक कोई नया कप्तान नहीं बना है. नक्सलियों ने एक पत्र जारी कर इस बात को स्पष्ट कर दिया है. नक्सलियों ने यह भी लिखा है कि संगठन अभी बेहद कठिन परिस्थियों का सामना कर रहा है. 

दरअसल नक्सलियों के महासचिव बसवराजू एनकाउंटर में मारा गया है. उसके मारे जाने के बाद इस बात को लेकर चर्चा थी कि संगठन में किसी अन्य को ये पद दिया गया है. इसके लिए देवजी के नामों की चर्चा थी. लेकिन नक्सलियों की ओडिशा राज्य कमेटी ने इस दावे को सिरे से खारिज किया है.  इस कमेटी की ओर से जारी पत्र में लिखा गया है कि देवजी को पार्टी ने अभी नया महासचिव घोषित नहीं  किया है. बसवा राजू की मौत के बाद से केंद्रीय महासचिव का पद खाली है. केंद्रीय कमेटी के सदस्य चंद्रन्ना के 28 अक्टूबर को तेलंगाना में समर्पण को धोखा बताया. 

पत्र में ये भी लिखा है कि 'कामरेड चंद्रन्ना ने कहा कि कामरेड देव जी को महासचिव चुना गया है, यह पूरी तरह से झूठ है. हमारी पार्टी के महासचिव बसवराजू की मौत के बाद बाद केंद्रीय कमेटी की कोई बैठक नहीं हुई है. वर्तमान स्थिति में केंद्र सरकार ऑपरेशन कगार के नाम पर गंभीर हमले कर रही है. केंद्रीय कमेटी की बैठक आयोजित करने के लिए कोई परिस्थितियां नहीं हैं.

कठिन परिस्थिति का सामना कर रहा है नक्सल संगठन

दरअसल नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों का जिस तरह से ऑपरेशन चल रहा है और नक्सली सरेंडर कर रहे हैं. इससे नक्सल संगठन को बड़ा झटका लग रहा है. सुरक्षा बलों के भारी दबावव के कारण नक्सली बैठकें नहीं कर पा रहे हैं. इनके बड़े नेता लगातार पार्टी छोड़ रहे हैं. नक्सलियों के पास लोगों और संसाधनों की भारी कमी बनी हुई है. इस बात को नक्सल संगठन खुद मान रहा है. गणेश ने पत्र में माना कि नक्सल संगठन अस्थाई कठिन स्थिति का सामना कर रहा है.

लीडरशिप लगभग खत्म 

पिछले लगभग डेढ़ सालों में महासचिव बसवाराजू समेत कई टॉप कैडर के नक्सली एनकाउंटर में मारे गए हैं. इसके अलावा कई बड़े नक्सलियों ने पुलिस के सामने हथियार डाल दिया है. ऐसे में नक्सल संगठन में लीडरशिप लगभग खत्म हो गई है. साल 2022 की सूची के मुताबिक पोलित ब्यूरो में 5 और सेंट्रल कमेटी में 18 नक्सली थे. लेकिन सालभर के अंदर ही पोलित ब्यूरो मेंबर सहित 13 नक्सली एनकाउंटर में ढेर हुए हैं. जबकि भूपति, रुपेश सहित की नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है. अब नक्सलियों के पोलित ब्यूरो में गणपति, देवजी और मिशिर बेसरा ही बचे हैं. नक्सल संगठन ने अभी तक ये स्पष्ट नहीं किया है कि पार्टी किसके नेतृत्व में काम कर रही है. 

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