दिल्ली पहुंचे नक्सली हिड़मा समर्थक, 150 जवानों के हत्यारे के समर्थन में इंडिया गेट पर किसने लगाए नारे?

Naxal Supporters In Delhi: इंडिया गेट के पास वायु प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है. विरोध-प्रदर्शन में युवा प्रदूषण के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे थे, तभी भीड़ में अचानक नक्सलियों के समर्थन में आवाज उठने लगा. हिड़मा के समर्थन में लड़के और लड़कियां 'लाल सलाम' के नारे लगने लगे और कहने लगे- 'तुम जितने हिडमा मारोगो, हर घर से हिडमा निकलेगा.'

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THE MURDERER OF 150 SOLDIERS NAXALITE MADVI HIDMA SUPPORTERS REACHED DELHI, RAISED SLOGANS AT INDIA GATE

Hidma Supporters: छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों के हाथों एक एनकाउंटर में मारे गए एक करोड़ का इनामी के समर्थन में राजधानी दिल्ली में नारे लगाने की खबर है. इंडिया गेट के पास दिल्ली में वायु प्रदूषण के खिलाफ जारी प्रदर्शन के बीच अचानक नक्सलियों के समर्थन में नारेबाजी होने लगी. नारेबाजी कर रहे करीब 15 समर्थकों को हिरासत में ले लिया गया है.

इंडिया गेट के पास वायु प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है. इसमें युवा प्रदूषण के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे थे, तभी भीड़ में अचानक नक्सलियों के समर्थन में आवाज उठने लगी. हिड़मा के समर्थन में लड़के और लड़कियां 'लाल सलाम' के नारे लगाने लगे और कहने लगे- 'तुम कितने हिड़मा मारोगे, हर घर से हिड़मा निकलेगा.'

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मुठभेड़ में मरा नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड 

गौरतलब है नक्सल कमांडर माड़वी हिड़मा करीब दो दशकों तक बस्तर के जंगलों में सुरक्षा बलों के हाथों मारा गया. भारत के सबसे खूनी नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड और 150 से अधिक जवानों की मौत का जिम्मेदार रहा हिड़मा छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश की सीमा से लगे घने मरेडमल्ली जंगलों में पत्नी राजे के साथ एक मुठभेड़ मारा गया था.

'टुकड़े-टुकड़े गैंग' समर्थक हैं हिड़मा समर्थकः डिप्टी सीएम

छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने इंडिया गेट के पास नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा के समर्थक में नारेबाजी करने वाले 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' करार दिया है. उन्होंने राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण प्रोटेस्ट के दौरान हुई नक्सली कमांडर के पक्ष में लगाए जा रहे नारेबाजी कर रहे 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' के मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे.

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माड़वी हिड़मा के खूनी नक्सली हमलों की सूची

साल 2005 से लेकर 2024 तक के दो दशकों में उसने जिन हमलों का नेतृत्व किया या जिनकी साजिश रची, वे भारत के सबसे खूनी नक्सली हमलों की सूची में शामिल हैं. साल 2005 का इर्राबोर आईईडी हमला, 2006 में दरभा, मानकछेरू और कोटाचेरू में हुए धमाके, 2007 में उपारगुड़ा का हमला, एर्राबोर राहत शिविर पर घेराबंदी और टैमारुगुड़ा गोल्लापल्ली क्षेत्र में मुठभेड़ें शामिल है.

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एक आदिवासी लड़का नकस्ली कमांडर माड़वी हिड़मा एक त्रासदी  था. 150 से अधिक जवानों का हत्यारा हिड़मा नरसंहार का आदी बन चुका था. जंगल के एक किशोर से करोड़ों के इनामी नक्सलवादी बनने तक की उसकी यात्रा खून, भय और अस्तित्व की लड़ाई से बुनी गई थी. उसने जो रास्ता चुना उसका अंत आत्मसमर्पण या गोली था

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बुरकापाल-टेकुलगुड़ा हमले में 47 जवान हुए शहीद

साल 2009 में निमा गिरिला और ओरछा नारायणपुर क्षेत्र में आईईडी विस्फोट, 2010 का ताडमेटला हमला, जिसमें 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए, 2014 का कासनपाड़ क्षेत्र हमला, 2015 का पिडमेटा हमला, 2017 का बुरकापाल हमला जिसमें 25 जवान शहीद हुए, 2021 का टेकुलगुड़ा हमला, जिसमें 22 जवान शहीद हुए और 2024 का धरमावरम कैंप हमला. इन धमाकों और हमलों में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों के जवान शहीद हुए और कई बार स्थानीयों की भी मौत हुई.

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नरसंहार का आदी बन चुका था इनामी माड़वी हिड़मा

 उल्लेखनीय है नक्सली माड़वी हिड़मा एक त्रासदी था. सवाल है 150 से अधिक जवानों का हत्यारा नरसंहार का आदी का कैसे कोई समर्थक हो सकता है. एक किशोर से करोड़ों के इनामी नक्सलवादी बनने तक की हिड़मा की यात्रा खून के धब्बों से बुनी गई थी. उसने जो रास्ता चुना उसका अंत आत्मसमर्पण या गोली ही था.

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