Naxal Encounter: सुरक्षा बलों ने बरामद किया नक्सलियों के हथियारों का बड़ा जखीरा, 21 साल पहले थाने से लूटे गए असलहा भी मिला

Dantewada Naxal Encounter: नक्सलियों के पास से कई अत्याधुनिक हथियार बरामद हुए हैं. इन हथियारों में एक सेल्फ लोडिंग रायफल (SLR) भी है, जिसे माओवादी 21 साल पहले एक थाने से लूटकर ले गए थे. जानें क्या है गीदम थाना हमले की कहानी?

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Dantewada Naxal Encounter: चार अक्टूबर को दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले की सीमा पर स्थित थुलथुली-नेंदूर जंगल में हुई मुठभेड़ में जवानो ने 31 नक्सलियों को मार गिराया था. इनके पास से कई अत्याधुनिक हथियार भी बरामद हुए हैं. इन हथियारों में एक सेल्फ लोडिंग राइफल (SLR) भी है, जिसे माओवादी 21 साल पहले एक थाने से लूटकर ले गए थे. 

पुलिस के मुताबिक, मुठभेड़ के बाद भारी मात्रा में यहां से हथियार बरामद किए गए, जिसमें एक नग LMG (लाइट मशीन गन), चार नग एके 47 , छह नग SLR (सेल्फ लोडिंग राइफल), तीन नग इंसास, दो नग 303 सहित कई देशी हथियार शामिल हैं. बरामद हथियारों के बट नम्बर से पुलिस हथियारों की शिनाख्त अब कर रही है. दंतेवाड़ा एसपी गौरव रॉय ने बताया कि इस बरामद हथियारों में एक हथियार SLR(सेल्फ लोडिंग राइफ़ल) भी है जिसे गीदम थाने से नक्सली लूट कर ले गए थे. इस बात को सुनते ही 21 साल पहले हुई घटना आंखो के सामने तैरने लगी. 13 अगस्त साल 2003 दिन बुधवार को गीदम थाने में नक्सलियों ने बड़ी हमले और लूट को अंजाम दिया था.  

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300 नक्सलियों ने बोला था थाने पर हमला 

जब यह घटना हुई थी उस दौर में जंगलों से लेकर शहर के रिहायशी इलाके में भी नक्सलियों की भारी दहशत रहती थी. उस दिन शाम सात बजे गीदम में लगभग 300 नक्सली एक बड़े हमले को अंजाम देने पहुंचे. इसके लिये उन्होंने जगदलपुर रायपुर मार्ग को बास्तानार और दंतेवाड़ा गीदम मार्ग को हारामपारा के चढ़ाव पर रोक दिया. सड़कों पर ट्रैफिक रोककर गीदम थाने पर नक्सलियों ने एक घंटे तक गोलीबारी की और धमाके किए. इस घटना में 4 जवान शहीद और 7 जवान घायल हो गये थे. वहीं इस दौरान एक नक्सली भी मारा गया था. किसी रिहायसी इलाके में नक्सलियों की यह बड़ी वारदात थी. घटना ने लोगों को अंदर से हिला कर रख दिया था. रात के सफर में लोग शेर, भालू, चीते से नहीं डरते थे बल्कि लोगों के मन मे सिर्फ यही डर रहता था कि कही अंदर वाले मतलब नक्सली न मिल जाये. 

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अब कैसा है गीदम?  

इन 21 सालों में पुलिस ने अपनी कुशल तकनीक और नक्सलियों से लड़ने की रणनीति में बहुत काम किया. नतीजतन, आज जवान आसानी से नक्सलियों के कोर नेटवर्क अबूझमाड़ जैसे इलाके में घुसकर नक्सलियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं. जवान अब नक्सलियों के गढ़ में अत्याधुनिक तकनीक से लैस होकर पहुंच रहे हैं. थुलथुली-नेंदूर मुठभेड़, रेकावाया जैसी मुठभेड़ कर नक्सलियों को बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं.

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दूसरी ओर अब समय के साथ नक्सल समस्या में भी बदलाव  दिखने लगा है. 21 साल पहले जहां गीदम भी आमलोगों के लिये सुरक्षित नही लगता था. वहीं अब अंदरुनी इलाको में भी सड़क से लेकर सरकार की पहुंच बढ़ती जा रही है. गीदम की घटना इसलिए उल्लेखनीय है क्योंकि आज सड़क, सुरक्षा और आम लोगो की सोच में परिवर्तन साफ दिखाई दे रहा है, अब बस्तर बदल रहा है. 

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