Navratri Special: मां के भक्तों के लिए खास है अष्टभुजी माता का ये मंदिर, जानें इसकी कहानी

Maa Ashtabhuji Temple In Sakti District: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सक्ति जिले में मां के भक्तों के लिए अष्टभुजी माता का मंदिर (Maa Ashtabhuji Temple) काफी खास है. नवरात्रि (Navratri) के शुभ अवसर पर जानें क्या है इस मंदिर की विशेषताएं. 

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Navratri Special 2024: नवरात्रि (Navratri) के महापर्व की शुरुआत हो गई है. माता रानी के दरबार में भक्त दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. मां के जयकारों से मंदिर गूंज उठे हैं. जगह-जगह मां की महिमा देखने को मिल रही है. छत्तीसगढ़ में भी सर्व सिद्ध शक्तिपीठ मां दक्षिणी काली अष्टभुजी मंदिर (Maa Ashtabhuji Temple)  प्रसिद्ध है, जिससे सैकड़ों भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है. जानें क्या है, मंदिर का इतिहास और मां के चमत्कार की कहानी..?

नवरात्रि में भक्तों की लगती है, लंबी कतार

सक्ती जिले के अड़भार में मां अष्टभुजी मंदिर में दक्षिण मुखी प्रतिमा विराजमान है. मंदिर को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया. पांचवी छठवीं शताब्दी के अवशेष इस स्थान पर मिलते हैं. इतिहास में अड़भार का उल्लेख अष्ट द्वार के रूप में मिलता है. मां अष्टभुजी आठ भुजाओं वाली हैं, यह बात तो अधिकांश लोग जानते हैं, लेकिन देवी के दक्षिण मुखी होने की जानकारी कम लोगों को ही है.

छत्तीसगढ़ में आठ द्वारों वाला अनोखा गांव

सक्ती जिले के अड़भार में मां अष्टभुजी मंदिर में दक्षिण मुखी प्रतिमा विराजमान हैं. मंदिर को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया. पांचवी छठवीं शताब्दी के अवशेष इस स्थान पर मिलते हैं. इतिहास में अड़भार का उल्लेख अष्ट द्वार के रूप में मिलता है. मां अष्टभुजी आठ भुजाओं वाली हैं, यह बात तो अधिकांश लोग जानते हैं, लेकिन देवी के दक्षिण मुखी होने की जानकारी कम लोगों को ही है.

प्रसिद्ध है ये मंदिर

शक्ति में मुंबई हावड़ा रेल मार्ग पर दक्षिण पूर्व की ओर 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित और पहाड़ में अष्टभुजी माता का मंदिर प्रसिद्ध है लगभग 5 किलोमीटर की परिधि में बस अद्भुत कई महीनों में अजीब है. यहां हर 100 से 200 मीटर की खुदाई करने पर किसी ने किसी देवी देवता की मूर्तियां मिल जाती है. आज भी यहां लोगों को भवन बनाते समय प्राचीन टूटी फूटी मूर्तियों या पुराने समय के सोने चांदी के सिक्के प्राचीन धातु की कुछ न कुछ सामग्री की अवशेष अवश्य मिलते हैं.

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मंदिर में देगुन गुरु की प्रतिमा भी दक्षिणमुखी

मूर्ति के ठीक दाहिने और डेढ़ फीट की दूरी में देगुन गुरु की प्रतिमा योग मुद्रा में विराजित है. प्राचीन इतिहास में 8 द्वार का उल्लेख अष्ट द्वार के नाम से मिलता है. अष्टभुजी माता का मंदिर और इस नगर के चारों ओर बने 8 विशाल दरवाजों की वजह से इसका प्राचीन नाम अष्ट द्वार रखा गया होगा और धीरे-धीरे अपभ्रंश होकर इसका नाम अड़भार हो गया. मां अष्टभुजी मंदिर में दक्षिण मुखी प्रतिमा विराजमान है. मंदिर को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया. पांचवी-छठवीं शताब्दी के अवशेष इस स्थान पर आज भी मिलते हैं.

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आठ द्वारों के कारण गांव का नाम है अड़भार

मां अष्टभुजी की प्रतिमा ग्रेनाइट पत्थर से बनी है. आठ भुजाओं वाली मां की प्रतिमा दक्षिणमुखी भी है. नगर के लोगों ने बताया कि पूरे भारत में कोलकाता की दक्षिण मुखी काली माता और छत्तीसगढ़ में जांजगीर- चांपा से अलग हुए नवीन सक्ती जिले के मालखरौदा ब्लॉक अंतर्गत नगर पंचायत अड़भार की दक्षिणमुखी अष्टभुजी देवी के अलावा और कहीं भी देवी की प्रतिमा दक्षिणमुखी नहीं है. सिद्ध जगत जननी माता अष्टभुजी का मंदिर दो विशाल इमली पेड़ों के नीचे स्थित है.

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