Mid Day Meal: मध्यान्ह भोजन में जहर; HC सख्त, छत्तीसगढ़ के CS ने जारी किया फूड सेफ्टी प्रोटोकॉल

Mid Day Meal: यह मामला सिर्फ एक स्कूल या एक घटना तक सीमित नहीं है,बल्कि पूरे प्रदेश की बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा है,हाईकोर्ट की सख्ती और सरकार के नए प्रोटोकॉल से अब यह तय है कि बच्चों की थाली में परोसा जाने वाला हर निवाला पूरी तरह सुरक्षित और गुणवत्ता युक्त होना चाहिए.

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Mid Day Meal: मध्यान्ह भोजन में जहर; HC सख्त, छत्तीसगढ़ के CS ने जारी किया फूड सेफ्टी प्रोटोकॉल

Mid Day Meal: सुकमा जिले के पाकेला आवासीय पोटाकेबिन स्कूल में 21 अगस्त को 426 छात्रों की जिंदगी खतरे में डाल देने वाली घटना के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) सख्त हो गई है. 17 सितंबर को चीफ जस्टिस (Chief Justice CG High Court) रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में राज्य सरकार को यह बताना होगा कि बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या ठोस कदम उठाए गए हैं. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव (Chief Secretary) पूरे प्रदेश में लागू होने वाला खाद्य सुरक्षा प्रोटोकॉल जारी कर दिया है.

आखिर ऐसा आदेश क्यों?

पाकेला स्कूल में रात के खाने में परोसी जाने वाली सब्जी में फिनाइल जैसा घातक रसायन मिलाया गया था. अच्छी खबर यह रही कि शिक्षक ने खाना चखने की प्रक्रिया के दौरान इसकी तेज गंध पकड़ ली, वरना 426 बच्चों की जान पर बन सकती थी. कोर्ट ने इस घटना को “आपराधिक कृत्य” करार देते हुए टिप्पणी की कि यह न सिर्फ लापरवाही है बल्कि छात्रों के जीवन को दांव पर लगाने जैसा है.

हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी

“अगर यह भोजन छात्रों ने खा लिया होता तो उसका परिणाम अकल्पनीय होता.” “माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल-छात्रावास सुरक्षित मानकर भेजते हैं,अगर ऐसी घटनाएं दोहराई जाती हैं तो यह विश्वास टूट जाएगा." कोर्ट ने सरकार को चेतावनी दी कि जरा-सी चूक भी बच्चों की जान के लिए गंभीर खतरा है और प्रशासन के लिए शर्मिंदगी का कारण.

नया फूड सेफ्टी प्रोटोकॉल

बच्चों की सुरक्षा और एमडीएम की गुणवत्ता को लेकर मुख्य सचिव ने प्रदेशभर के कलेक्टरों, एसपी और विभागीय सचिवों को विस्तृत गाइडलाइन जारी की है. इसके मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:-

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  • भोजन परोसने से पहले अनिवार्य टेस्टिंग : शिक्षक/वार्डन रोजाना भोजन चखेंगे और चखने का रजिस्टर पर हस्ताक्षर करेंगे.
  • रसोई और भंडारण की सख्त निगरानी : रसोई व भंडार का नियमित निरीक्षण,अनाज, दाल, तेल व सब्जियां सीलबंद कंटेनर में रखी जाएंगी,फिनाइल,डिटर्जेंट, कीटनाशक जैसे रसायनों का अलग सुरक्षित भंडारण.
  • जवाबदेही तय : किसी चूक पर प्रिंसिपल/वार्डन की व्यक्तिगत जिम्मेदारी,प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारी निगरानी करेंगे.
  • सुरक्षा व्यवस्था : रसोई में अनधिकृत व्यक्तियों का प्रवेश प्रतिबंधित,आवासीय/बड़े छात्रावासों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश.
  • आपातकालीन तैयारी : सभी स्कूलों-छात्रावासों में फर्स्ट-एड किट और विषहर दवाएं उपलब्ध होंगी,नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों से त्वरित मेडिकल सपोर्ट,खाद्य विषाक्तता की स्थिति में मॉक ड्रिल.
  • समुदाय व अभिभावकों की भागीदारी : अभिभावक-शिक्षक निगरानी समिति का गठन,पालक-शिक्षक बैठकों में खाद्य सुरक्षा की नियमित समीक्षा.
  • जानबूझकर भोजन को दूषित करने पर तत्काल FIR और IPC/ BNS की धाराओं में कार्रवाई.
  • रिपोर्टिंग और ऑडिट : राज्य स्तरीय हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज होगी,हर छोटी-बड़ी घटना की रिपोर्ट DEO और कलेक्टर को अनिवार्य. त्रैमासिक,अर्धवार्षिक और वार्षिक स्वतंत्र ऑडिट.

हाईकोर्ट का निर्देश

डिवीजन बेंच ने साफ कहा कि चीफ सिकरेट्री को शपथ पत्र के साथ जवाब देना होगा कि बच्चों की सुरक्षा और भोजन की गुणवत्ता के लिए सरकार ने कौन-से कदम उठाए हैं,कोर्ट ने यह भी चेताया कि जिम्मेदार अफसरों की किसी भी तरह की चूक को बेहद गंभीरता से लिया जाएगा.

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