छत्तीसगढ़ में भोजन कराने वाले ही हैं भूखे पेट ! 87 हजार से अधिक रसोइयों को 4 महीने से नहीं मिला मानदेय

छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में छात्रों को मिड डे मील मिलने में भारी परेशानी हो सकती है. क्योंकि उनके लिए भोजन बनाने वाले रसोइये ही भूखे हैं.दरअसल सरकार द्वारा बीते 4 महीने से रसोइयों को दिया जाने वाला मानदेय जारी ही नहीं हुआ है.जिससे रसोइयों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है.

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Chhattisgarh Mid Day Meal: छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में छात्रों को मिड डे मील मिलने में भारी परेशानी हो सकती है. क्योंकि उनके लिए भोजन बनाने वाले रसोइये ही भूखे हैं.दरअसल सरकार द्वारा बीते 4 महीने से रसोइयों को दिया जाने वाला मानदेय जारी ही नहीं हुआ है.जिससे रसोइयों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है. स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोइया महासंघ ने शासन को पत्र लिखकर मानदेय की राशि जारी करने की मांग की है. रसोइया महासंघ की प्रदेश अध्यक्ष नीलू ओगरे का कहना है दिवाली आने वाली है लेकिन अभी तक शासन ने मानदेय कि राशि जारी नहीं की है. जिसकी वजह से ये सवाल पैदा हो गया है कि इनका त्योहार कैसे मनेगा? बता दें कि राज्य शासन की ओर से इन रसोइयों को हर महीने मात्र 2000 रुपये का ही मानदेय दिया जाता है. पहले ये 12 सौ रुपये था जिसे हाल ही में बढ़ाया गया है.  

सबसे खराब स्थिति की रिपोर्ट बेमेतरा जिले से सामने आ रही है. इस जिले के तहत चार ब्लॉक बेमेतरा ,साजा बेरला व नवागढ़ आते हैं. इसके तहत 761 प्राथमिक व 403 मिडिल स्कूलों में मध्यान भोजन पकाने के लिए 2575 से अधिक रसोइये तैनात हैं. ये रसोइये भोजन बनाने के बाद उसे परोसते भी हैं.

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इन रसोइयों का कहना है कि उन्हें बीते 4 महीने से उनका मानदेय नहीं मिल रहा है. जिसकी वजह से वे परेशान हैं और परिवार चलाने के लिए उन्हें बाजार से कर्ज लेना पड़ रहा है.  कई रसोइयों के सामने घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है. बेमेतरा ब्लॉक में 573, बेरला ब्लॉक में 620, साजा ब्लॉक में 663 और नवागढ़ ब्लाक में 709 रसोइयों को अपने मानदेय का इंतजार है. जिसे लेकर रसोइयों के प्रदेश महासंघ ने सरकार को चिट्ठी भी लिखी है. फिलहाल शासन की ओर से कोई माकूल जवाब सामने नहीं आया है. 

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