डीएफओ मामले पर मंत्री का पल्ला झाड़ने का आरोप, पूर्व विधायक भी हुए हमलावर, जानें क्या है मामला ? 

MCB News: डीएफओ मनीष कश्यप मामले में मंत्री का पल्ला झाड़ने का आरोप लगा है. पूर्व विधायक भी इसे लेकर हमलावर हुए हैं. आइए जानते हैं पूरा मामला आखिर क्या है? 

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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिला मुख्यालय में डीएफओ मनीष कश्यप से जुड़ा विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. नगर पालिका के भाजपा के निर्वाचित अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित कई पार्षदों में इस मामले को लेकर कड़ा विरोध देखने को मिल रहा है. 

ये है मामला 

दरअसल नगर पालिका क्षेत्र में भालू के विचरण की जानकारी देने के लिए परिषद के जनप्रतिनिधि डीएफओ मनीष कश्यप के पास पहुंचे थे जहां उनके बीच विवाद हो गया. हालांकि इस पूरे घटनाक्रम के बाद डीएफओ ने खेद जताते हुआ माफी भी मांग ली थी. लेकिन सत्ता पक्ष के लोग मानने को तैयार नहीं हैं.

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नेताओं का मानना है कि सत्ता में होने के बावजूद पार्टी के स्तर पर अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है. जिससे भाजपा के जनप्रतिनिधियों में रोष व्याप्त है और वे डीएफओ को हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं. 

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इस मुद्दे पर क्षेत्र के विधायक और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल रविवार को तिरंगा यात्रा के दौरान मनेंद्रगढ़ पहुंचे थे. यहां उन्होंने विश्राम गृह में संगठन पदाधिकारियों और जिला अध्यक्ष के साथ बंद कमरे में बैठक की. बैठक के बाद मीडिया से चर्चा में उन्होंने कहा कि डीएफओ मामले में बैठक की गई है और जिला अध्यक्ष मामले को लेकर मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष को अवगत कराएंगे. हालांकि उनके इस बयान को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि मंत्री ने इस प्रकरण से अपना पल्ला झाड़ लिया है. 

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वहीं क्षेत्र के पूर्व विधायक डॉ. विनय जायसवाल ने भी डीएफओ मनीष कश्यप पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि यह अधिकारी पहले से ही विवादित रहा है और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इसे निलंबित किया था. 

उन्होंने कहा कि चुने हुए जनप्रतिनिधि जनता की समस्याओं के समाधान के लिए अधिकारी के पास जाते हैं लेकिन इस मामले में उनके साथ गलत व्यवहार किया गया जो बेहद निंदनीय है. डॉ. जायसवाल ने कहा कि ऐसे रवैये से अफसरशाही और अराजकता को बढ़ावा मिलता है जबकि जनप्रतिनिधि जनता के द्वारा चुने जाते हैं और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए सीधे अधिकारी से संपर्क करते हैं. उन्होंने मांग की कि इस तरह के मामलों में अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. फिलहाल इस पूरे मामले में भाजपा संगठन और सरकार के रुख पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं कि क्या पार्टी जनप्रतिनिधियों की मांग के अनुसार डीएफओ का तबादला या कार्रवाई करती है या यह मामला लंबे समय तक राजनीतिक खींचतान में उलझा रहेगा.इस मामले में NDTV ने डीएफओ से भी उनका बयान जानने के लिए संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. 

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