Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अमृत मिशन योजना का हाल-बेहाल है. जिले के नगर पंचायत खोंगापानी, नई लेदरी और झगराखांड में घर-घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने के मकसद से एक साल पहले इन तीनों नगर पंचायतों की स्वीकृति मिली थी, लेकिन टेंडर प्रक्रिया पूरा नहीं हो सकी और काम चालू नहीं हो पाया. स्वीकृति मिलने के बाद एक साल में 9 बार टेंडर कॉल किया गया.
विज्ञापन में 50 लाख से ज्यादा की राशि हो गई खर्च
आपको बता दें कि टेंडर कॉल के विज्ञापनों में ही शासन के 50 लाख रुपए से अधिक की राशि खर्च हो चुकी हैं, लेकिन किसी भी कांट्रेक्टर ने टेंडर नहीं भरा. इधर इन तीनों नगर पंचायतों में नगरवासी शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं. नगर पंचायत नई लेदरी की अध्यक्ष सरोज पाण्डेय ने बताया कि क्षेत्र में पेयजल की समस्या विकराल होती जा रही है. यहां के लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. अभी तक पानी के लिए हम पूरी तरह एसईसीएल पर निर्भर हैं, एसईसीएल भी पूरे नगर पंचायत में पानी सप्लाई नहीं देता है.
जानिए क्या कहा स्वास्थ्य मंत्री ने
वहीं मनेन्द्रगढ़ के विधायक और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल का कहना है कि दूरस्थ क्षेत्र और नियम में कठोरता के कारण कार्य में देरी हो रही है. अमृत मिशन का कार्य जल्द पूरा होगा. उन्होंने कहा संबंधित विभाग से बातचीत कर जल्द कार्य पूरा कराने के लिए पहल की जाएगी. अब देखना होगा कि इन तीनों नगर पंचायतों में अमृत मिशन का कार्य कब चालू होता है और क्षेत्र के लोगों को कब शुद्ध पेयजल आपूर्ति होती है.
पानी की समस्या बनी है विकराल
इन दिनों पानी की विकराल समस्या बनी हुई है. हालात यह है कि नगर पंचायत के कई वार्डों के लोग झिरिया जैसे प्राकृतिक स्रोत का पानी पीने को मजबूर हैं. सबसे अधिक समस्या वार्ड नंबर 6, 7 और 13 वार्ड नंबर में हैं, जहां सुबह से पानी के लिए बच्चों सहित पूरा परिवार जद्दोजहद करता है. आलम यह है कि यहां के निवासियों को दो किमी तक पैदल चलकर पानी लाना पड़ता है. पहले नगर पंचायत के सीएमओ को अवगत कराया था, साथ में समस्या का समाधान भी बताया गया. मगर उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया. जिस कारण कई वार्डों के लोगों को परेशानी हो रही है.
जल्द से जल्द शुरू होगा ये कार्य
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि योजना पर टेंडर कॉल के लिए 50 लाख रुपए खर्च होना यह तो शासन की प्रक्रिया है. कार्य स्वीकृति के बाद इसमें क्यों देरी हो रही है, टेंडर में क्या समस्या आ रही है इस पर विभागीय अफसरों से चर्चा कर मैं कार्य को जल्द से जल्द शुरू करवाने का प्रयास करूंगा.
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