Naxalites of Chhattisgarh: ऐसा लगता है माओवादी संगठनों के भीतर नेतृत्व और विचारधारा को लेकर चल रहा टकराव अब एक अहम मोड़ पर पहुंच गया है. संगठन के शीर्ष नेताओं में से एक वेणुगोपाल उर्फ सोनू दादा के सशस्त्र संघर्ष को विराम देने के आह्वान के बाद अब माओवादियों के माड़ डिवीजनल कमेटी ने भी उनके समर्थन में पत्र जारी कर दिया है. माड़ डिवीजन कमेटी की सचिव रानीता सणीता द्वारा जारी किए गए पत्र में साफ लिखा गया है कि वे अपने पोलित ब्यूरो सदस्य सोनू के नेतृत्व में लिए गए सशस्त्र संघर्ष को त्यागने के निर्णय का पूर्ण समर्थन कर रहे हैं.
रानीता के नेतृत्व में माड़ डिवीजन का समर्थन
बता दें कि केंद्रीय कमेटी की धमकी के बावजूद, अलग-अलग डिवीजन लगातार सोनू दादा के समर्थन में सामने आ रहे हैं. उत्तर बस्तर डिवीजन और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली डिवीजन के बाद. अब माओवादियों के माड़ डिवीजन कमेटी ने भी सशस्त्र संघर्ष को त्यागने के समर्थन में अपना बयान जारी किया है.
इसी कारण. सशस्त्र संघर्ष को त्याग कर सभी मित्र संगठनों से मिलकर जनता के बीच में जाकर काम करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि अप्रैल-मई में पार्टी महासचिव बसवराज के नेतृत्व में शांति वार्ता की कोशिशों को भी उनका पूर्ण समर्थन था.
सरकार से 15 अक्टूबर तक गश्त रोकने की अपील
उधर रानीता ने केंद्र और राज्य सरकार से एक महत्वपूर्ण अपील भी की है. उन्होंने कहा कि डिवीजन कमेटी द्वारा लिए गए इस बड़े निर्णय को डिवीजन में मौजूद सभी पार्टी साथियों को समझाने के लिए उन्हें कुछ समय की आवश्यकता है. इस कार्य को पूरा करने के लिए उन्होंने सरकार से 15 अक्टूबर तक पुलिस गश्त अभियानों को रोकने का निवेदन किया है. साथ ही, उन्होंने यह जिम्मेदारी भी ली है कि इस दौरान उनके द्वारा माड़ इलाके में कोई भी गैरकानूनी गतिविधि नहीं की जाएगी.
सोनू दादा का ऐतिहासिक पत्र और संगठन में हड़कंप
बता दें कि माओवादियों के पोलित ब्यूरो सदस्य वेणुगोपाल उर्फ सोनू दादा ने बीते दिनों केंद्रीय कमेटी के नाम एक पत्र जारी कर हड़कंप मचा दिया था. इस पत्र में उन्होंने सरकार से एक महीने के युद्ध विराम की अपील की थी. साथ ही, उन्होंने चार पन्नों के एक भावनात्मक पत्र में यह स्वीकार किया कि लगातार गलत दिशा में बढ़ने के कारण हथियारबंद आंदोलन अब कोई सही परिणाम नहीं दे सकता. उन्होंने इसे अपनी हार बताते हुए खेद भी व्यक्त किया था.
दो धड़ों में बंट गया संगठन
सोनू के इस आह्वान के बाद संगठन दो धड़ों में बंट गया. तेलंगाना स्टेट कमेटी के प्रवक्ता जगन ने इसे व्यक्तिगत विचार कहकर विरोध किया. वहीं, केंद्रीय कमेटी (अभय और विकल्प के नाम से) ने एक कड़ा प्रेस नोट जारी कर वेणुगोपाल को धमकी भरे लहजे में कहा कि यदि उन्हें समर्पण करना है तो यह उनकी निजी राय है, लेकिन वह हथियार पार्टी को सौंप दें. ऐसा न करने पर पीएलजीए को हथियार लेने के लिए उनके पीछे लगा दिया जाएगा.
सुरक्षा बलों का रुख
उधर माओवादियों के लगातार मिल रहे इन पत्रों पर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यदि माओवादी हथियार रखकर मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं तो उनका स्वागत है. बीते दिनों छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी बयान दिया था कि माओवादी यदि हथियार रखकर लौटना चाहते हैं तो उनके स्वागत के लिए सरकार 'रेड कार्पेट' तक बिछाने को तैयार है. यह घटनाक्रम छत्तीसगढ़ में नक्सल आंदोलन के भविष्य को लेकर एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है.
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