Loksabha Election Result : कांटे की टक्कर के बीच "भूपेश कका"  को मिली पटखनी, BJP की परंपरागत सीट पर नहीं बचा पाए अपनी साख

Rajnandgaon Loksabha Seat Result: लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं. छत्तीसगढ़ की हाई प्रोफ़ाइल सीट राजनांदगांव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल हार के करीब हैं .

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Loksabha Election Result 2024: लोकसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ की  जिस हाईप्रोफाइल सीट की चर्चा रही है, उनमें राजनांदगांव की सीट भी है. क्योंकि इस सीट से पूर्व सीएम भूपेश बघेल मैदान में थे. इस सीट से BJP एक बार फिर से जीत का रिकॉर्ड बरकरार रख रही है. यहां से BJP के संतोष पांडे बढ़त बनाए हुए है. भूपेश बघेल और संतोष के बीच वोटों का काफी बड़ा अंतर है. भूपेश बघेल की हार तय है. 

देश में मोदी लहर और छत्तीसगढ़ की 11 सीटों पर बीजेपी के जीत के दावे के बीच कांग्रेस की नैया राजनांदगांव सीट से भी पार नहीं लग पाई है.  इस सीट से कांग्रेस ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल को टिकट दिया था. यहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में मिली बड़ी पटखनी के बाद भूपेश बघेल को लोकसभा चुनाव का जीतना सबसे बड़ा टास्क था. बड़ा टास्क इसलिए भी था, क्योंकि प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद कांग्रेस और खुद भूपेश बघेल कई आरोपों में घिरे हुए थे. यहां से जीत दर्ज करना भी इनकी प्रतिष्ठा का सबसे बड़ा सवाल था. 

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छत्तीसगढ़ के लोग इन्हें 'भूपेश कका' कहकर पुकारते हैं. सीएम रहते हुए इन्होनें नरवा, घुरवा बाड़ी, महिला सशक्तिकरण सहित अन्य क्षेत्रों में काफी काम किया था. देश में कांग्रेस की डूब रही नैया के बीच पार्टी ने बड़े चेहरों को टिकट दिया था, उनमें से भूपेश बघेल एक थे. 

जानें भूपेश बघेल के बारे में 

छत्तीसगढ़ माटी पुत्र भूपेश बघेल प्रदेश के तीसरे मुख्यमंत्री रहे हैं. ये गांधी परिवार के करीबी आने जाते हैं.  पीसीसी चीफ रहते हुए बीजेपी की सरकार में विपक्ष की जोरदार भूमिका निभाई और कड़ी चुनौती के बीच प्रदेश में कांग्रेस की एक तरफा सरकार बनाई थी . इनकी विशेष उपलब्धि के कारण ही कांग्रेस पार्टी ने इन्हें मुख्यमंत्री बनाया था. इसके बाद से भूपेश की गिनती देश की राजनीति के टॉप के राजनेताओं में भी होने लगी.

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किसान परिवार में हुआ था जन्म 

भूपेश बघेल का जन्म 23 अगस्त 1961 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पाटन में किसान परिवार में हुआ था. वे नंदकुमार बघेल और  बिंदेश्वरी बघेल के पुत्र हैं.  किसान परिवार में पैदा होने के कारण ही कठिन परिश्रम, सही निर्णय लेने का साहस उन्हें बचपन से ही मिलना शुरू हुआ. रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्व विद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है. पढ़ाई के साथ ही युवा कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत की. छत्तीसगढ़ की 90 में से 69 सीटों में कांग्रेस ने एक तरफा जीत दर्ज कर देश में एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया था. 

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साल 2023 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस दोबारा सरकार नहीं बना पाई. इनकी सरकार में महादेव सट्टा ऐप , शराब घोटाला, कोयला घोटाला के आरोप लगे हैं. हालांकि इन सभी मामलों की अभी जांच चल रही है. 

अब जानते हैं राजनांदगांव सीट का इतिहास 

राजनांदगांव लोकसभा सीट की बात करें तो बीते 5 में चुनावों से यह सीट बीजेपी के कब्जे में रही है. हालांकि बीच में एक उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. 1999 में इसी सीट से रमन सिंह को जीत को मिली, 2004 में प्रदीप गांधी जीते लेकिन 2007 के उपचुनाव में कांग्रेस के देवव्रत सिंह यहां से जीत गए, 2009 में मधुसूदन यादव यहां से सांसद थे तो वहीं 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह यहां से सांसद बने. जबकि पिछले यानी 2019 में संतोष पांडे को पार्टी ने मौका दिया और वह सांसद बने इसलिए इस लोकसभा सीट पर ज्यादातर बीजेपी का कब्जा रहा है.

संतोष पांडे का सियासी सफर ऐसा रहा

संतोष पांडे का जन्म 31 दिसंबर 1967 को कबीरधाम जिले के सहसपुर में हुआ. उनके पिता का नाम स्वर्गीय शिव प्रसाद पांडे और माता का नाम सोना देवी पांडे है. सांसद संतोष पांडे की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी पूरी तरीके से बीजेपी से जुड़ी रही है. उनके पिता स्वर्गीय शिव प्रसाद पांडे सहसपुर लोहारा मंडल के दो बार मंडल अध्यक्ष रहे, इसके साथ ही उनकी माता सोना देवी पांडे अविभाजित मध्य प्रदेश में जिला पंचायत सदस्य थीं. इसके साथ ही इनका परिवार आरएसएस (RSS) यानी कि संघ से जुड़ा हुआ रहा है.
 

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