तेंदुआ, भालू और जंगली सूअर का गरियाबंद में तांडव, महिला को मार डाला; तीन लोग घायल

Gariaband Forest Animals Attack: गरियाबंद में जंगली जानवरों ने लोगों पर हमला बोल दिया. यह हमले अलग-अलग स्थानों पर हुए हैं, जिनमें एक महिला की जान चली गई.

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गरियाबंद के जंगलों में जानवरों का हमला. (सांकेतिक तस्वीर, क्रेडिट- मेटा एआई)

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के जंगलों में आज ऐसा तांडव देखने को मिला, जिसने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया. महज कुछ घंटों के भीतर तीन अलग-अलग जानवरों भालू, तेंदुए और जंगली सूअर ने चार अलग-अलग जगहों पर हमला कर दिया. इन हमलों में एक महिला की मौत हो गई, जबकि तीन ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हैं.

धमना में भालू का हमला

जंगली जानवार के हमले की शुरुआत धमना गांव से हुई, जहां जंगल की ओर गया एक युवक अचानक भालू के हमले का शिकार हो गया. गंभीर रूप से घायल युवक को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया है.

पंडरीपानी में तेंदुए ने मचाया हड़कंप

छुरा ब्लॉक के पंडरीपानी गांव में एक तेंदुआ घर में घुस आया और ग्रामीण पर हमला कर दिया. मौके पर चीख-पुकार मच गई, ग्रामीणों की मदद से किसी तरह तेंदुए को भगाया गया. घायल को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

लिटीपारा में महुआ बीनते वक्त हमला

तीसरी घटना लिटीपारा गांव की है, जहां जंगल में महुआ बीन रहे बुजुर्ग भगतराम पर किसी अज्ञात जंगली जानवर ने हमला कर दिया. बुजुर्ग को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है.

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कारीडोंगरी में महिला की मौत

चौथी और सबसे दुखद घटना कारीडोंगरी के जंगल में हुई. महुआ बीनने गई एक महिला पर जंगली सूअर ने हमला कर दिया. गंभीर रूप से घायल महिला को पहले जिला अस्पताल लाया गया, फिर रायपुर रेफर किया जा रहा था, लेकिन अत्यधिक रक्तस्राव के कारण इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

ग्रामीणों में डर और आक्रोश

लगातार हो रहे हमलों से ग्रामीणों में डर के साथ-साथ आक्रोश भी है. लोग अब जंगल की ओर जाने से कतरा रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में वन विभाग की सक्रियता और निगरानी की मांग की जा रही है.

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वन विभाग की प्रतिक्रिया

वन मंडल अधिकारी (DFO) लक्ष्मण सिंह ने कहा कि जिस महिला की मौत हुई है, उसके परिजनों को तत्काल 25 हजार रुपये की सहायता राशि दी जा रही है. उन्होंने बताया कि महुआ जंगली जानवरों का भी पसंदीदा फल है, इसलिए ग्रामीणों और जानवरों का आमना-सामना जंगल में होता है.

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डीएफओ ने यह भी कहा कि ग्रामीण अक्सर महुआ बीनने की होड़ में तड़के अंधेरे में ही जंगल पहुंच जाते हैं, जिससे खतरा बढ़ जाता है. वन विभाग समय-समय पर ग्रामीणों को समझाइश देता है कि वे अकेले और अंधेरे में जंगल न जाएं.

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