निर्माण हुआ नहीं और अधिकारियों ने फर्जी फोटो अपलोड कर जारी कर दी राशि, पीएम आवास निर्माण में बड़ा खेल...

Kabirdham News: पहले मामले में NDTV  जनपद पंचायत सहसपुर लोहरा के ग्राम लाखाटोला में बिन्दाबाई के नाम से स्वीकृत आवास में फर्जीवाड़ा को सामने लाया था. जहां उनका आवास बना ही नहीं और सरकारी भवन का फोटो अपलोड कर रुपए निकाल लिए गए. इस खबर को प्रमुखता से दिखाने के बाद कलेक्टर ने इसे संज्ञान में लिया और इसकी जांच करने के लिए जिला पंचायत सीईओ को निर्देश दिए.

Advertisement
Read Time: 3 mins
K

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कबीरधाम जिले (kabirdham District) के लोहरा ब्लॉक में प्रधानमंत्री आवास निर्माण में फर्जीवाड़ा का खेल एक के बाद एक सामने आ रहा है. इस खेल में अधिकारियों के ऊपर फर्जी फ़ोटो अपलोड कर (यानी घर बना ही नही और दूसरे भवन का फोटो लगाकर) राशि निकालने का आरोप लग रहे हैं. NDTV के शुरुआती पड़ताल में तीन ऐसे मामले सामने आए हैं. जहां हितग्राही का प्रधानमंत्री आवास बना ही नहीं और जियोटेक करने वाले अधिकारियों ने कहीं सरकारी भवन का तो कहीं दूसरी जगह का फोटो अपलोड कर राशि जारी कर आपस में बंदरबांट कर लिया.

सरकारी अधिकारियों पर लगे बड़े आरोप

पहले मामले में NDTV  जनपद पंचायत सहसपुर लोहरा के ग्राम लाखाटोला में बिन्दाबाई के नाम से स्वीकृत आवास में फर्जीवाड़ा को सामने लाया था. जहां उनका आवास बना ही नहीं और सरकारी भवन का फोटो अपलोड कर रुपए निकाल लिए गए. इस खबर को प्रमुखता से दिखाने के बाद कलेक्टर ने इसे संज्ञान में लिया और इसकी जांच करने के लिए जिला पंचायत सीईओ को निर्देश दिए. इसके बाद प्रधानमंत्री आवास में गड़बड़ी करने वाले ब्लॉक समन्वयक को हटाकर जांच के लिए टीम बनाई गई. अगर इस तरह से सरकारी योजनाओं में खेल होता रहेगा तो जनता को उनका हक और सरकारी योजनाओं का फायदा कैसे मिल पाएगा.

Advertisement

दूसरा मामला ग्राम पंचायत सिंघनपुरी जंगल का है

दूसरा मामला ग्राम पंचायत सिंघनपुरी जंगल का है जहां 2019 में बैसाखीन बाई पिता पुरषोत्तम के नाम से एक लाख तीस हजार रुपए का प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुआ और घर बनाने के लिए उन्हें 35 हजार रुपए की पहली क़िस्त जारी की गई लेकिन हितग्राही ने अपने बेटों के विवाद के चलते घर नही बनाया इसके बाद इन्हें कई नोटिस भी दिए गए लेकिन वे घर नहीं बना पाई. इसके बाद अधिकारियों ने इन्हें डराना शुरू कर दिया. अधिकारी राशि डकारने के चक्कर मे इनके नाम पर आवास पूरा बताकर फर्जी फ़ोटो जियोटेक किए और पूरी राशि हितग्राही के बैंक खाते में जमा करा ली. इसके बाद हितग्राही से रुपए निकलवाकर रख लिए. परिणाम यह हुआ पांच साल में हितग्राही का आवास नहीं बना और इनकी राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई.

Advertisement

सरकारी योजनाएं चढ़ रही हैं भ्रष्टाचार की भेंट

तीसरा मामला भी ग्राम पंचायत सिंघनपुरी का है. जहां समारू पिता तुलाराम के नाम पर प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुआ और ब्लॉक समन्वयक ने पुराने घर को जियोटेक कर राशि निकाल ली. इस फर्जीवाड़े का खेल जब ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव व रोजगार सहायक को पता चला तो उन्होंने दोनों आवास के संबंध में जनपद पंचायत के सीईओ को लिखित में सूचना दी लेकिन अधिकारी के कान में जूं तक नही रेंगा और लगातार फर्जीवाड़ा करने वाले ब्लॉक समन्यवक को संरक्षण देते रहे.

Advertisement

ये भी पढ़ें 'मौत' पर भी फर्जीवाड़ा! खुद को मृत सरकारी कर्मचारी की पत्नी बताकर नौकरी कर रही है अविवाहिता, बहन ने यूं खोली पोल

ये भी पढ़ें रायगढ़ कलेक्टर ने छात्रों को दिलाई शपथ, तिरंगे को बताया पूर्वजों के बलिदान का प्रतीक

Topics mentioned in this article