छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां धान खरीदी के लिए भर्ती किए गए 102 कंप्यूटर ऑपरेटरों को अचानक हटा दिया गया है. इस निर्णय के बाद नए ऑपरेटर्स में हड़कंप मच गया है.
बता दें कि धान खरीदी शुरू होने से पहले पुराने कंप्यूटर ऑपरेटर हड़ताल पर थे. ऐसे में धान खरीदी की प्रक्रिया बाधित न हो, इसलिए MARKFED ने 102 नए कंप्यूटर ऑपरेटर्स के पद स्वीकृत किए और एक निजी कंपनी के माध्यम से युवाओं को तत्काल एक दिवसीय प्रशिक्षण देकर विभिन्न धान खरीदी केंद्रों में तैनात कर दिया था.
लेकिन, हड़ताल समाप्त होने के 15 दिन बाद MARKFED ने अचानक उस कंपनी का एग्रीमेंट निरस्त कर दिया और इसके साथ ही सभी नए कंप्यूटर ऑपरेटरों की सेवाएँ भी खत्म कर दीं. इससे वे अचानक बेरोजगार हो गए. जैसे ही यह सूचना नए ऑपरेटर्स तक पहुँची, वे स्तब्ध रह गए.
कई युवकों का कहना है कि वे पहले निजी कंपनियों में काम कर रहे थे, लेकिन सहकारी समिति में स्थायी रोजगार की उम्मीद में उन्होंने यह नौकरी जॉइन की थी. कुछ तो अपनी पुरानी नौकरी छोड़कर आए थे, लेकिन अब बिना किसी पूर्व सूचना के उन्हें बाहर कर दिया गया.
इस फैसले का विरोध करते हुए सभी 102 ऑपरेटर्स कलेक्टर कार्यालय पहुँचे. उनका आरोप है कि प्रशासन ने उनके साथ अन्याय और धोखा किया है. युवाओं ने कहा-
"हमें नौकरी का भरोसा देकर बुलाया गया, हमने दूसरी नौकरी छोड़ी और अब अचानक हमें बेरोजगार कर दिया गया. हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है. प्रशासन हमें रोजगार दे, नहीं तो हम आंदोलन करेंगे."
इतना ही नहीं, कुछ युवकों ने यह गंभीर आरोप भी लगाया है कि नौकरी दिलाने के नाम पर कई लोगों से ₹1 लाख से ₹1.5 लाख तक की राशि ली गई.
इस मामले पर SDM उत्तम ध्रुव ने कहा कि “धान खरीदी केंद्रों पर नियमित 102 ऑपरेटर्स के स्ट्राइक पर चले जाने के बाद नए ऑपरेटर्स को DMO द्वारा रखा गया था. इन्हें किन शर्तों पर रखा गया, यह जांचा जाएगा. लगभग 30-40 ऑपरेटर्स ने ज्ञापन दिया है.”