Lack of Alimentary Canal: बालोद जिले में बिना आहार नली के पैदा हुई एक वर्षीय मासूम इलाज के पैसे नहीं होने के चलते जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है. दुर्लभ बीमारी के इलाज में माता-पिता दिवालिया हो गए हैं. जमा-पूंजी गंवाने के बाद अब मां-बाप सरकार से इलाज के लिए मदद की गुहार लगा रहे हैं.
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इशिका साहू के शरीर में जन्म से आहार नली नहीं
कजराबांधा गांव की मासूम इशिका साहू के शरीर में जन्म से आहार नली नहीं है. उसे आहार एक पाइप के मदद से दिया जाता है. डॉक्टर के अनुसार, गंभीर बीमारी से जूझ रही इशिका के इलाज में करीब 7 लाख रुपये का खर्च आएगा. उसके माता-पिता के पास अब इतने पैसे नहीं बचे हैं कि वो उसका इलाज करा सकें. इसलिए अब कलेक्ट्रेट के पास पहुंचे हैं, ताकि सरकार से मदद मिल सके.
बेटी का इलाज खर्च पाने की उम्मीद में कलेक्ट्रेट पहुंचे मां-बाप
रिपोर्ट के अनुसार, गोद में मासूम बच्ची को लिए बुधवार को जिला कलेक्ट्रेट मां-बाप बेटी का इलाज खर्च पाने की उम्मीद में पहुंचे और शासन-प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है. कजराबांधा गांव निवासी ईश्वर साहू और लीला साहू बताते हैं कि वो बेटी के इलाज पर अब तक लगभग 15 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन इशिका पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो पाई है.
इशिका के इलाज के लिए करीब 7 लाख रुपये की जरूरत
डाक्टरों का कहना है कि दुर्लभ बीमारी से जूझ रही इशिका के इलाज का खर्च करीब 7 लाख रुपये आएगा. पीड़ित मां-बाप का कहना है कि बेटी की इलाज का खर्च पर अब परिवार के सामर्थ्य से बाहर है. ऐसे में परिवार को अब बेटी के इलाज के खर्च के लिए सरकारी मदद की उम्मीद है.
अब सिर्फ सरकार से उम्मीद
गौरतलब है किसी भी माता-पिता के लिए सबसे कठिन वक्त होता है, जब उसकी संतान की जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा हो, और वे चाहकर भी कुछ न कर पाएं. इशिका का इलाज पैसों के अभाव में रुक गया है, जिसे मां-बाप हलकान है. मां-बाप की उम्मीद अब सिर्फ सरकार पर टिकी है.