Inspirational Story: छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाईगढ़ (Sarangarh-Bilaigarh) जिले के ग्राम पंचायत बोईरडीही में रहने वाले सहायक शिक्षक (Assistant Teacher) उत्तम कुलदीप आज समाज के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन चुके हैं. शिक्षा (Education) के प्रति उनका ऐसा जुनून जिसे हर किसी ने नहीं देखा और सुना होगा. दिव्यांग शिक्षक और उनकी पत्नी का अटूट समर्पण लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. 2008 में प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक पद पर नियुक्त हुए उत्तम कुलदीप का जीवन सामान्य था. लेकिन 2011 में एक गंभीर बीमारी ने उनकी आंखों की रोशनी छीन ली. इस हादसे ने उनके परिवार को गहरी चोट पहुंचाई. परिवार ने हर संभव प्रयास किया, रायपुर और नागपुर के डॉक्टरों से इलाज करवाया, लेकिन उनकी रोशनी लौट पाना संभव नहीं था. काफ़ी प्रयास के बाद भी उन्हें निराशा हाथ लगी, लेकिन वे हार नहीं माने और अपने अपने कर्तव्यों को शिद्दत से पूरा करने में जुट गए.
पत्नी का अद्भुत समर्पण
इन कठिन परिस्थितियों में उनकी पत्नी ने जो समर्पण और साहस दिखाया, वह अविश्वसनीय है. उन्होंने न केवल परिवार की जिम्मेदारियों को संभाला, बल्कि पति के शिक्षक के कर्तव्यों में भी कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया. वह रोजाना स्कूल जाती हैं और बच्चों को पढ़ाने में उत्तम कुलदीप का पूरा सहयोग करती हैं. उनका यह समर्पण यह साबित करता है कि रिश्तों में जब विश्वास और प्यार होता है, तो कोई भी मुश्किल आसान हो जाती है.
समाज के लिए एक प्रेरणा
यह कहानी केवल एक दृष्टिहीन शिक्षक की नहीं है, बल्कि एक समर्पित पत्नी और उनके परिवार की है, जिन्होंने हर मुश्किल का सामना डटकर किया. उत्तम कुलदीप और उनकी पत्नी का समर्पण इस बात का संदेश देता है कि अगर इरादे मजबूत हों और साथ में अपनों का साथ हो, तो अंधकार में भी उम्मीद की किरण मिल सकती है.
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