चरित्र शक में पति ने पूरे परिवार का घोंटा गला ! अब कोर्ट से मिली फांसी की सजा

Crime News in Hindi : आरोपी पति उमेंद केंवट को शक था कि उसकी पत्नी का किसी से अवैध संबंध था. जिसके बाद से वह अपनी पत्नी की हत्या करने के फिराक में था. एक जनवरी 24 की रात करीब तीन बजे आरोपी नें अपनी पत्नी सुक्रिता को बाथरूम जाने के नाम से घर के बाहर ले गया.

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Shocking Crime Case in Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिला एवं सत्र न्यायालय के दशम अपर सत्र न्यायाधीश ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने एक संगीन हत्याकांड के मामले में आरोपी को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई. बता दें कि जिले का तीसरा मामला है जिसमें कोर्ट ने आरोपी को फांसी की सजा दी है. दरअसल, ये घटना  न्यायधानी बिलासपुर के मस्तूरी थाना इलाके के हिर्री गांव से सामने आई थी.  1 जनवरी 2024 की रात को आरोपी पति उमेंद्र केंवट (34) ने अपनी पत्नी सुक्रिता केंवट (32), बड़ी बेटी खुशी केंवट (05), लिसा केंवट (03) और 18 महीने के मासूम बेटे पवन केंवट की रस्सी से गला घोंटकर हत्या कर दी. इसके बाद आरोपी ने थाने जाकर मस्तूरी पुलिस को खबर दी.

कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा

खुलासा होने के बाद पुलिस ने आरोपी उमेंद्र केंवट को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में ले लिया. इसी मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय के दशम अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार त्रिपाठी ने सभी सबूतों और गवाहों के आधार पर आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत चार बार अपराधी मानते हुए दोषी ठहराया और संगीन हत्या मानते हुए सजा- ए-फांसी का फैसला सुनाया.

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शक के परिवार का कत्ल

आरोपी पति उमेंद केंवट को शक था कि उसकी पत्नी का किसी से अवैध संबंध था. जिसके बाद से वह अपनी पत्नी की हत्या करने के फिराक में था. एक जनवरी 24 की रात करीब तीन बजे आरोपी नें अपनी पत्नी सुक्रिता को बाथरूम जाने के नाम से घर के बाहर ले गया और अंधेरे का फायदा उठाते हुए तार से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दिया. वहीं, घर के अंदर सो रहे बेटी खुशी केंवट (5) और लिसा केवट (3) को भी उसी तरह गला घोंटकर कर मार दिया. बगल में 18 महीने का बेटा पवन को भी उसने नहीं बख्शा और उसे भी मौत के घाट उतार दिया.

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8 महीने के अंदर मिली सजा

हत्या के इस मामले में आरोपी पति को मौत की सजा मिलने से पीड़ित परिवार और उनके वकीलों ने संतोष व्यक्त किया. मामले की पैरवी करने वाले वकील लक्ष्मी कांत तिवारी और अभिजीत तिवारी ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की और कोर्ट ने महज आठ महीने में सबूतों और गवाहों के आधार पर आरोपी को फांसी की सजा सुनाई.

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