Land Encroachment: यहां ग्राम पंचायत सरपंच और उपसरपंच दोनों बर्खास्त, जानिए क्या है मामला?

Sarpanch & Deputy Sarpanch Dismissed: शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा करने के आरोपी सरपंच उषा यादव और उप सरपंच बलदाऊ यादव को कोर्ट ने दोषी पाया और दोनों को उनके पद से बर्खास्त कर दिया. अतिरिक्त कलेक्टर न्यायालय बिलासपुर ने एसडीएम की रिपोर्ट और आरोपियों की सुनवाई के बाद यह कार्रवाई की.

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Basia Gram panchayat Sarpanch and Deputy Sarpanch Dismissed

Land Encroachment: बिलासपुर जिले के बिल्हा विकासखंड के एक ग्राम पंचायत सरपंच और उप सरपंच को शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे के गंभीर मामले में बर्खास्त कर दिया गया. ग्राम सरपंच और उप सरपंच पर बसिया ग्राम पंचायत की की भूमि पर कब्जा करने के आरोप लगे थे, आरोप सिद्ध होने पर अतरिक्त कलेक्टर न्यायालय ने दोनों उनके पद से हटाने का फैसला सुनाया. ग्राम सरपंच और उप सरपंच की बर्खास्तगी की खबर से लोगों में हड़कंप मच गया.

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शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा करने के आरोपी सरपंच उषा यादव और उप सरपंच बलदाऊ यादव को कोर्ट ने दोषी पाया और दोनों को उनके पद से बर्खास्त कर दिया. अतिरिक्त कलेक्टर न्यायालय बिलासपुर ने एसडीएम की रिपोर्ट और आरोपियों की सुनवाई के बाद यह कार्रवाई की.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, शासकीय घास भूमि पर अवैध निर्माण और कब्जे की शिकायतें सामने आई थीं. सरपंच उषा यादव पर आरोप है कि उन्होंने अपने पति कृष्ण कुमार यादव के साथ मिलकर गोठान के पास स्थित सरकारी जमीन पर पक्का मकान बनाना शुरू कर दिया. वहीं, उप सरपंच बलदाऊ यादव ने उसी भूमि पर डेयरी फार्म खोल लिया.

सरपंच-उप सरपंच ने अवैध कब्जा स्वीकारा

रिपोर्ट के मुताबिक शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे की शिकायत के बाद मामले की जांच की गई और जांच के दौरान 8 अक्टूबर 2024 को अतिरिक्त तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट में खसरा नंबर 231/1 (8.260 हेक्टेयर) और 213/8 (0.607 हेक्टेयर) पर कब्जे की पुष्टि की. आरोपियों ने सुनवाई के दौरान अपने कब्जे को स्वीकार भी किया.

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बसिया ग्राम पंचायत सरपंच और उप सरपंच पर हुई कार्रवाई ने सार्वजनिक पदों पर आसीन लोगों को स्पष्ट संकेत मिला है कि शासकीय संपत्तियों पर अवैध कब्जा करने वाले उके खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे. फैसला भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की दिशा में एक सख्त संदेश है.

कानूनी कार्रवाई और आदेश

छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 36(1) के तहत, शासकीय भूमि पर कब्जा और पद के दुरुपयोग के आरोप सिद्ध होने पर दोनों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया. कोर्ट ने आदेश में कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधि होने के बावजूद सरपंच व उप सरपंच ने पद का दुरुपयोग किया, जबकि यह उनकी नैतिक जिम्मेदारी के खिलाफ था.

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