Ground Zero: पहले माओवाद बना रोड़ा, फिर टाइगर रिजर्व ने रुकवाया काम... गरियाबंद के इस गांव में 17 साल बाद भी पक्की सड़क नहीं

Gariaband Road Problem: गरियाबंद में विशेष पिछड़ी जनजाति वाले आमामोरा और ओड़ बस्तियों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए बनाई जा रही  पक्की सड़क 17 साल बाद भी अधूरी पड़ी है. 32 किमी लंबी इस सड़क के निर्माण में पहले माओवाद रोड़ा बना, अब टाइगर रिजर्व ने एनओसी क्लियरेंस का हवाला देकर काम रोक दिया है.

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गरियाबंद में सड़क की खस्ता हाल

No Road for Villagers: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में कई ऐसे गांव हैं, जहां विकास तो दूर, जीवन की मूलभूत सुविधाएं भी आज तक नहीं पहुंची हैं. ऐसा ही एक मामला गरियाबंद (Gariaband) जिले का है. जिले के पहाड़ों में बसे अमामोरा और ओड़ बस्तियों में रहने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति के ग्रामीण झेरिया के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं. इनके आंगनबाड़ी भवन अधूरे हैं. इमरजेंसी के स्वास्थ्य सुविधा मिल नहीं पाती, क्योंकि इन तक पहुंचने के लिए सुगम सड़के नहीं हैं. सड़कों को मंजूरी मिली, लेकिन निर्माण में बार बार रोड़ा आ रहा है. इसलिए स्वीकृत 31.65 किमी में अब तक 12 किमी पक्की बन चुकी,10 किमी में डामर लगाना बाकी था और शेष दूरियों में अर्थ वर्क गति पर था कि काम बंद कर दिया गया. सड़क के अधूरे होने से अब पूरे बरसात ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.

गांव में 17 साल बाद भी नहीं बन पाया रोड

पुलिया से सड़क तक : सब अधूरा

ओड़ पंचायत तक अधूरी सड़क में किसी तरह मशक्कत कर यहां के लोग आवाजाही कर लेंगे. लेकिन, आमामोरा पंचायत के ठीक पहले बने पुलिया में स्लैब की ढलाई नहीं हुई है. यहां चार पहिया तो दूर, अब दोपहिया सवार भी ठीक से आ जा नहीं सकेंगे. इन्हें ग्रामीणों की बदकिस्मती कहे या फिर सिस्टम की लापरवाही... किसी भी सूरत में विकास की यह बिगड़ी तस्वीर ग्रामीणों को अपने किस्मत पर रोने की लिए मजबूर कर रही है. जन प्रतिनिधि बहुत जल्द ही आंदोलन की रूपरेखा बनाने की तैयारी कर रहे हैं.

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क्या है धौलपुर नेशनल हाईवे का पूरा मामला?

धवलपुर नेशनल हाईवे से कूकरार तक 31.65 किमी की लंबी सड़क निर्माण की मंजूरी 2008 में मिली. तब इसकी लागत 10 करोड़ रुपये थी. 2009 में काम शुरू हुआ. पहले फेज में 7 किमी सड़क का निर्माण पूरा किया जा सका था. तभी मई 2011 में माओवादियों ने आमामौरा के आगे पहाड़ों में एडिशन एसपी समेत 9 पुलिस कर्मियों को गोलियों से भून दिया. रुके काम को दोबारा 2022 में नए लागत, 23.34 करोड़ रुपये पर रीटेंडर किया गया. इस बार काम को पांच भागों में बांट दिया गया.

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गांव तक जाने वाली पुलिया भी नहीं

टेंडर की 23 कॉल विफल हुई. फिर किसी तरह 24वां कॉल पर टेंडर हुआ. जुलाई 2023 से सीआरपीएफ की सुरक्षा में निर्माण की गति तेजी से बढ़ी. मार्च 2024 तक 8.50 किमी सीसी सड़क समेत 11.52 किमी की सड़क पक्की हो गई. 10 किमी पर अर्थ वर्क पूरी किया गया. मार्च 2025 उदंती सीता नदी अभ्यारण ने काम में रोक लगा दिया.

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PMGSY के अधिकारियों ने कही ये बात

मामले में चूक कहा हुई, ये समझने से पहले PMGSY के दफ्तर पहुंचे. अफसरों ने बताया कि 2008 में सामान्य वन मंडल से वन विभाग की अनापत्ति पर काम शुरू किया गया था. पुराने प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू किया, तो वन विभाग क्लियरेंस की जरूरत नहीं समझी. रुके निर्माण कार्य के दूसरे पहलुओं को समझने के लिए सीता नदी अभ्यारण्य के उपनिदेशक वरुण जैन से बात की गई.

इनका कहना था कि 2012 में समान्य वन मंडल से तब्दील होकर टाइगर रिजर्व अस्तित्व में आ गया. नियम के मुताबिक, निर्माण शुरू करने से पहले दिल्ली से वाइल्ड लाइफ और फॉरेस्ट क्लियरेंस की जरूरत है. निर्माण क्षेत्र का लगभग 10 हेक्टेयर का रकबा अभ्यारण्य के बफर जोन में आता है, जिसके क्लियरेंस कराने 6 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च लगेगा.हालांकि आपत्ति के बाद अफसर क्लियरेंस की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दिया है.

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