शराब की लत छुड़ाएगी आयुर्वेदिक दवा! रायपुर के सरकारी महाविद्यालय में तैयार किया फॉर्मूला, CCRS से भी मिली मंजूरी

Ayurvedic Medicine: नशे की लत छुड़ाने और उसके दुष्प्रभाव से बचाने के लिए रायपुर आयुर्वेद महाविद्यालय के डॉक्टर और शोधार्थियों ने एक अनोखी दवा तैयार की है. दावा किया जा रहा है कि इस दवा के तीन महीने का डोज पूरा करने शराब की लत से छुटकारा मिल सकता है. इस दवा को केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान झांसी से भी मान्यता मिल गई है.

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Alcohol Addiction:कई बार लोग शराब की लत छोड़ना चाहते हैं कि लेकिन इसके लिए माकूल दवाएं नहीं मिल पाती है. अब छत्तीसगढ़ के रायपुर में मौजूद सरकारी आयुर्वेद महाविद्यालय ने एक ऐसी दवा तैयार कर लेने का दावा किया है जो आपको नशे की लत से छुटकारा दिला सकती है. अच्छी बात ये है कि इस दवा को केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान,झाँसी और स्टेट ड्रग टेस्टिंग डिपार्टमेंट ने मान्यता भी दे दी है. हालांकि इसे तैयार करने वाले डॉक्टर और रिसर्च स्टूडेंट्स का कहना है कि सबसे पहली शर्त मरीज में शराब की लत छोड़ने की इच्छा का होना है. ये दवा उसके मनोबल को बढ़ाती है और नशे से छुटकारा पाने में मदद कर दी है. दावा किया जा रहा है कि इस दवा के तीन महीने का डोज पूरा कर लेने पर आपको शराब की लत से आजादी मिल जाएगी. 

अपने तरह की पहली दवा होने का दावा

आयुर्वेद महाविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर डॉ. प्रेमनारायण सिंह ने बताया कि यह रिसर्च राज्य में नशामुक्ति और उससे होने वाले समस्याओं पर किया जाने वाला आयुर्वेद में अपनी तरह का पहला हैं.

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हमने छह माह तक इसपर रिसर्च किया तो पता चला कि इसपर अब तक कोई स्टडी ही नहीं हुई है. हमने दवा को बनाने के लिए आयुर्वेदिक खाद्य पदार्थों का ही उपयोग किया है.

राज्य के कई लोग इसका उपयोग भी कर रहे हैं. हमें ऐसे ही एक शख्स मिले चुन्नी लाल. वे बस्तर के रहने वाले हैं और अपने 35 साल के बेटे की नशे की लत से बेहद परेशान हैं. जवान बेटे को बर्बाद होता देख चुन्नी लाल का  पूरा परिवार दुखी है. लेकिन अब इस दवा की वजह से उनका दुख कुछ कम होता दिख रहा है. 

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दो साल के रिसर्च के बाद तैयार हुई दवा

इस दवा को तैयार किया है आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के अगद तंत्र विभाग ने. इस विभाग के HOD डॉ एसआर इंचुलकर ने बताया कि इसे डॉ प्रेम नारायण सिंह और उनकी टीम ने उनके मार्गदर्शन में तैयार किया है. डॉ प्रेम नारायण ने बताया कि वे सरगुजा क्षेत्र के रहने वाले हैं. वहां उन्होंने कई लोगों को नशे की लत में बर्बाद होते हुए देखा है. इसी को देखते हुए उनके मन में ऐसी दवा बनाने का विचार आया. दो-तीन आयुर्वेदिक दवाओं का चूर्ण और घी को मिलाकर हमने इस दवा को तैयार किया है. इसके पहले हमने इस पर करीब दो साल तक रिसर्च किया है.

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इसमें मुख्यत: पोई भाजी नाम की वनस्पति का इस्तेमाल किया गया है. इसका कुल 3 महीने का कोर्स है. इसको नाम दिया गया है उपाधिका चूर्ण और सतवारी धृत.

अभी ये साफ नहीं है कि ये दवा बाजार में कब तक उपलब्ध होगी. अगर महाविद्यालय का दावा सही है तो फिर नशे की लत छोड़ने वाले लोगों के लिए ये दवा संजीवनी जैसी साबित हो सकती है और साथ ही नशामुक्ति अभियान चलाने वालों के लिए भी ये रामबाण बन सकती है.

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