Golden Book of World Records: गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले ने स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है. जिले में एक दिन में 51,727 महिलाओं का हीमोग्लोबिन टेस्ट कर नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया है. जिले में इस अभियान को स्वास्थ्य विभाग एवं महिला एवं बाल विकास विभाग का संयुक्त अभियान, जिला प्रशासन के निर्देशन में चलाया जो ऐतिहासिक हो गया. एनीमिक महिलाओं के लिए जिले में अब अलग से कार्य योजना बनाई जाएगी. गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड की प्रमुख ने पहुंचकर कलेक्टर को सम्मानित किया है.
ऐसे बना इतिहास
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के रक्त शक्ति महाअभियान ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. एनीमिया मुक्त भारत अभियान के लिए चलाए गए इस अभियान को महिला एवं बाल विकास एवं स्वास्थ्य विभाग के साथ क्लब करके जिले में चलाया गया. 26 जून को जिले में 31 सेक्टर बनाकर 230 सेंटरों में महाअभियान चलाया गया. जिले की महिलाओं को एनीमिया मुक्त करने चलाए गए अभियान को महिलाओं का अच्छा रिस्पॉन्स मिला. जिले की 13 से 47 वर्ष की कुल 67925 महिलाओं को ध्यान में रख कर अभियान चलाया गया था. पूरी कार्य योजना में स्वास्थ्य विभाग महिला एवं बाल विकास विभाग जिला पंचायत जनपद पंचायत स्कूल शिक्षा विभाग राजस्व विभाग कृषि विभाग के साथ अन्य विभागों ने समन्वय करके लिया सक्रिय रूप से भाग लेकर रिकॉर्ड बनाया, पूरे अभियान के निगरानी गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारियों ने की आज रिकॉर्ड बनने के बाद प्रमाण पत्र देने गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड की छत्तीसगढ़ प्रमुख सोनम राकेश शर्मा ने पहुंचकर जिले की कलेक्टर लीना कमलेश मंडावी को रिकॉर्ड एवं मेडल प्रदान किया.
अधिकारियों ने कहा कि हमारी शुरुआत रिकॉर्ड बनाने के उद्देश्य से नहीं हुई थी. हमारा मुख्य उद्देश्य था – जनहित, खासकर ट्राइबल क्षेत्र में महिलाओं में पाए जाने वाले एनीमिया की वास्तविक स्थिति को समझना. हमने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' और 'एनीमिया मुक्त भारत' जैसी योजनाओं को समन्वय कर इस महाअभियान को आकार दिया.
अब हम आगामी हफ्ते में प्राप्त डेटा के आधार पर यह जान पाएंगे कि जिले में किन महिलाओं का Hb स्तर 7 ग्राम से कम है, जिन्हें एनीमिक माना जाता है. फिर स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग के सहयोग से उनके लिए विशेष कार्य योजना बनाई जाएगी ताकि उन्हें उचित पोषण और लाभ मिल सके, जिससे उनके स्वास्थ्य में सुधार हो सके.”
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