छत्तीसगढ़ में क्यों शामिल होना चाहते हैं ओडिशा के ये परिवार? दो राज्यों के बीच में बंटे इस गांव के लोग हैं परेशान

CG News: सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले से लगभग 50 किलोमीटर दूर बरमकेला ब्लॉक में बसा घोघरा गांव के लोग दो राज्यों के बीच बंटने से परेशान हैं. ग्रामीणों का कहना है कि दो राज्यो में बंटने से उन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.

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गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी है.

Ghoghra Village of Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले (Sarangarh-Bilaigarh) में एक ऐसा गांव है जो दो राज्यों में बंटा हुआ है. जिसके चलते इस गांव में बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं. गांव के लोग इसको लेकर शासन-प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नवगठित सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले से लगभग 50 किलोमीटर दूर बरमकेला ब्लॉक में घोघरा गांव बसा हुआ है. जहां की कुल आबादी लगभग 400 है. घोघरा ग्राम पंचायत के दो आश्रित गांव भी हैं- बेहराबहाल और सोनबला. 

पूरे पंचायत की कुल आबादी लगभग तेरह सौ से ज्यादा है. घोघरा गांव के लोगों ने बताया कि कई वर्षों से घोघरा गांव के एक हिस्से में जहां 100 से ज्यादा लोगों का परिवार है उस हिस्से को ओडिशा राज्य (Odisha) के बरगढ़ जिले (Bargarh) में शामिल किया गया है. जबकि गांव के एक हिस्से को जहां लगभग 300 से ज्यादा लोग रहते हैं, उसे छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में शामिल किया गया है.

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दो राज्यों में बंटा गांव

घोघरा गांव को दो राज्यों में बांट दिया गया है. लेकिन, हैरानी की बात यह है कि इस गांव में राज्यों की सीमा की पहचान के तौर पर कोई भी चिन्ह नहीं लगाया गया है. जबकि आमतौर पर किसी भी देश, राज्य या जिले की सीमा को बांटने के लिए बॉर्डर या सांकेतिक चिन्ह लगाए जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गांव के बीच बनाया गया सड़क ही उड़ीसा और छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा रेखा है. यह सड़क गांव में रहने वाले कई परिवारों को अपने परिवार से अलग कर देती है. जिसका विरोध कई सालों तक किया गया, लेकिन सुनवाई नहीं होने पर ग्रामीणों ने हार मान लिया. 

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ग्रामीणों का कहना है कि गांव को दो हिस्सों में बांट देने के कारण गांव का विकास नहीं हो पा रहा है. ग्रामीणों के अनुसार, ओडिशा राज्य में आने वाले गांव के हिस्से के साथ ओडिशा सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है, जिसको लेकर ग्रामीणों में नाराजगी है.

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ओडिशा में गांव का नाम भी बदला

ग्रामीणों का कहना है कि छत्तीसगढ़ की सीमा में आने वाले ग्रामीणों को छत्तीसगढ़ सरकार की सभी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है, जबकि सड़क के दूसरी तरफ गांव का नाम बदलकर कंधपारा कर दिया गया है. कंधपारा गांव को ग्राम पंचायत नारंगपुर में शामिल किया गया है, जो कि ओडिशा राज्य के बरगढ़ जिले का हिस्सा है. इस गांव में रह रहे लगभग पन्द्रह से बीस परिवारों को ओडिशा सरकार की योजनाओं का लाभ पूरी तरह नहीं मिल रहा है.

ओडिशा में रहकर छत्तीसगढ़ में पढ़ाई

यहां के लोगों के सारे पहचान पत्र और सरकारी दस्तावेज ओडिशा सरकार के द्वारा बनाए गए हैं. सभी का आधार कार्ड और राशन कार्ड ओडिशा राज्य सरकार द्वारा बनाया गया है, जबकि गांव के सारे बच्चे अपनी प्रारम्भिक शिक्षा घोघरा गांव के प्राइमरी स्कूल में ही पूरा करते हैं. ऐसे में गांव के कई परिवारों के लिए मुश्किल हो जाता है कि वे अपने छोटे-छोटे बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के लिए कहां भेजें. ओड़िशा की सीमा में आने वाले गांव के हिस्से में या फिर आस-पास कोई भी सरकारी स्कूल नहीं है, ऐसे में मजबूरन सभी परिवारों को अपने बच्चे को छत्तीसगढ़ की स्कूल में पढ़ाना पड़ता है.

यहां तक कि ये बच्चे अपनी आगे की पढ़ाई भी छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में करते हैं. लेकिन, इनके सभी पहचान पत्र और निवास प्रमाण पत्र सहित जाति प्रमाण पत्र ओडिशा के होने के कारण कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जिसके कारण उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य शासन से मिलने वाली छात्रवृत्ति कोटा का फायदा भी नहीं मिल पाता है.

सारंगढ़-बिलाईगढ़ के जिला शिक्षा अधिकारी एस एन भगत ने कहा कि घोघरा गांव के ग्रामीण ओडिशा-छत्तीसगढ़ सीमा में होने के कारण वहां के बच्चों को शिक्षा अध्ययन में परेशान हो रही है. वहां के कुछ पालकों ने हमसे चर्चा की थी. ओडिशा में आने वाले बच्चे चाहेंगे तो छत्तीसगढ़ से शिक्षा अध्ययन कर सकते हैं, लेकिन उन्हें किसी प्रकार की छूट नहीं मिलेगी.

छत्तीसगढ़ में शामिल किए जाने की मांग

दोनों राज्यों के बीच बसे इस गांव के ग्रामीणों को अपनी आधी मूलभूत सुविधाओं के साथ अपना जीवन यापन करना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि घोघरा एक गांव होते हुए भी दो हिस्से में बंट गया है. यहां पूर्व में बुनियादी सुविधाओं की कमी थी. ओडिशा सरकार द्वारा इन्हें शामिल तो किया गया, लेकिन सुविधाओं के नाम से कोई पहल या संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए. ऐसे में कंधपड़ा के लोग  बिजली, पानी, शिक्षा जैसी सुविधाओं के लिए पूरी तरह से छत्तीसगढ़ पर आश्रित थे. बदलते वक्त के साथ उड़ीसा में आने वाले लोगों के लिए ओडिशा सरकार ने कुछ सुविधाएं मुहैया तो कराई हैं, लेकिन चिकित्सा और शिक्षा के लिए अभी भी वहां के ग्रामीण छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था पर आश्रित हैं. इस वजह से आज भी गांव के लोग छत्तीसगढ़ में शामिल होने के लिए कई वर्षों से मांग करते आ रहे हैं.

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