Gariaband Female Naxalite Surrender: गरियाबंद पुलिस को नक्सल विरोधी अभियान में एक बड़ी कामयाबी मिली है. सोमवार को 8 लाख रुपये की इनामी महिला नक्सली जानसी उर्फ वछेला ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. जानसी, जिसे नक्सली संगठन में एक बड़ा और सीनियर सदस्य माना जाता था, वह हाल ही में मारे गए कुख्यात नक्सली सत्यम गावड़े की पत्नी है. पुलिस के मुताबिक, जानसी का समर्पण एक बड़ी सफलता है क्योंकि वह नगर एरिया कमेटी की सचिव थी और संगठन के सबसे ऊंचे पदों में से एक पर काबिज थी. हाल ही में सुरक्षा बलों ने कई बड़े नक्सली नेताओं को मार गिराया था, जिसके बाद जानसी ही सबसे बड़े पद पर बची थी.
पुनर्वास नीति और परिवार के दबाव में लिया फैसला
गरियाबंद पुलिस अधीक्षक (SP) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि जानसी ने सरकार की पुनर्वास नीति और परिवार के सदस्यों के लगातार दबाव के चलते हिंसा का रास्ता छोड़ने का फैसला किया. पुलिस ने ये भी कहा कि बड़े-बड़े नेताओं के मारे जाने के बाद अब नक्सल संगठनों की कमर टूट चुकी है. जिले के पुलिस कप्तान ने एक बार फिर सभी नक्सलियों से अपील की है कि वे हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौट आएं. पुलिस का दावा है कि सरकार ऐसे सभी लोगों की पूरी मदद करेगी जो आत्मसमर्पण करना चाहते हैं.
कौन था जानसी का पति सत्यम गावड़े
सत्यम गावड़े छत्तीसगढ़ और ओडिशा सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय एक प्रमुख नक्सली नेता था. वह नक्सलियों के धमतरी-गरियाबंद-नुआपाड़ा (DGN) डिवीजन का प्रमुख था और उस पर ₹65 लाख का इनाम था. इस डिवीजन की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ और ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियों को अंजाम देना था. सत्यम जनवरी 2025 में हुए उस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों के द्वारा ढेर किया गया जिसमें चलपति समेत कई बड़े नक्सली कमांडर मारे गए थे.
क्या है पुनर्वास नीति?
सरकार की पुनर्वास नीति का मकसद उन नक्सलियों को नया जीवन देना है जो हिंसा का रास्ता छोड़ना चाहते हैं। इस नीति के तहत, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को आर्थिक मदद, घर बनाने के लिए पैसा, बच्चों की शिक्षा और रोज़गार के अवसर दिए जाते हैं। यह नीति उन्हें समाज में सम्मान के साथ रहने का मौका देती है.
नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक और कदम
जानसी के समर्पण के बाद, गरियाबंद पुलिस को उम्मीद है कि इस इलाके में नक्सली संगठन और भी कमजोर होगा। यह घटना सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी जीत है और यह साबित करती है कि सरकार की लगातार कोशिशें और पुनर्वास की योजनाएँ नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित कर रही हैं. यह बस्तर और आसपास के इलाकों में शांति और विकास लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. पुलिस ने साफ संदेश दिया है कि जो लोग हिंसा छोड़कर आएंगे, उनका स्वागत किया जाएगा और उन्हें एक नया जीवन दिया जाएगा.
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