हजारों किमी दूर से उड़कर छत्तीसगढ़ पहुंचे विदेशी मेहमान, सालों बाद प्रवासी पक्षी के आने से लोगों में उत्साह

CG News: सारस क्रेन पक्षी कई हजार किमी का सफर तय करके कई सालों बाद छत्तीसगढ़ के इस जिले में पहुंचे है.. बल्कि, खास बात तो ये है कि लखनपुर पंचायत का इन्हें प्रतिक चिन्ह भी बनाया गया हैं..  

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सरगुजा में नजर आ रहे हैं विदेश से आएं सारस पक्षी

Crane Bird in CG: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सरगुजा (Surguja) जिले में लखनपुर जनपद पंचायत क्षेत्र में लगभग 10 वर्षों बाद फिर से विदेशी मेहमान, प्रवासी पक्षी, सारस यानी क्रेन (Crane Bird) नजर आया. लखनपुर और कुंवरपुर डैम के आसपास के खेतों में इन्हें देखा गया. लंबे समय के बाद आए इन विदेशी मेहमानों (Foreign Guests) को देखने के लिए लोग काफी उत्साहित हैं. हालांकि, वन विभाग (Forest Department) के द्वारा इन विदेशी मेहमानों की सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था करने की बात भी सामने आई है. कुछ सालों पहले तक इनका यहां आना-जाना लगा रहता था, लेकिन एक घटना के बाद इन्होंने ने यहां आना छोड़ दिया था. आखिर ऐसा क्या हो गया था कि विदेशी मेहमान, सारस पक्षियों ने इस इलाके में आना ही बंद कर दिया था...

बच्चों के साथ नजर आ रहे हैं सारस

लखनपुर क्षेत्र में प्रवासी पक्षी, सारस क्रेन कई वर्षों बाद नजर आने के बाद से क्षेत्र के लोग काफी खुश हैं. इन विदेशी मेहमानों की खातिरदारी करने के लिए सभी बहुत व्याकुल है. लेकिन, वन विभाग ने पहले से ही लोगों के लिए निर्देश जारी करते हुए साफ कर दिया है कि इन पक्षियों को दूर से ही देखें और इनके पास ना जाए.. वरना ये समय से पहले यहां से जा सकते हैं. इस बार यहां नजर आए सारस क्रेन जोड़े में हैं. उनके साथ उनका एक बच्चा भी है.

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सरगुजा में नजर आए विदेशी सारस पक्षी

ये तीनों लगातार आसपास के इलाकों में उड़ान भी भर रहे हैं. बता दें कि पूर्व में वन विभाग के द्वारा प्रवासी पक्षी सारस क्रेन के रहने के लिए जगह निर्धारित किया गया था. लगातार उक्त स्थान पर सारस क्रेन पक्षी देखने बड़ी संख्या में लोग आते थे. ऐसे में अब एकबार फिर से वही व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

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लगभग 10 साल पहले यहां आए एक सारस पक्षी की करेंट के तार से टकराकर मौत हो गई थी.. इसके बाद से इनका यहां आना बंद हो गया था. इस साल सारस इस इलाके में दोबारा नजर आए हैं..

यहां का प्रतिक चिन्ह है सारस क्रेन

सैकड़ों किलोमीटर की उड़ान भरकर सरगुजा के लखनपुर क्षेत्र में पहुंचने वाले सारस क्रेन को क्षेत्रवासी कितना चाहते हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लगभग 12 वर्ष पूर्व जनपद पंचायत लखनपुर में इस पक्षी को जनपद पंचायत का प्रतीक चिन्ह बनाया गया था.. और ये आज भी बरकरार है... लेकिन, लगभग 10 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद पुनः इन पक्षियों के लखनपुर क्षेत्र में आने के बाद से एक बार फिर क्षेत्र के ग्रामीण न सिर्फ इन्हें देखने के लिए उत्साहित हैं, बल्कि अपने मेहमानों के आओ भगत के लिए भी बहुत आतुर हैं.

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कैसे पूरी करते हैं इतनी लंबी उड़ान

सारस, जिसे अंग्रेजी में क्रेन कहा जाता है, भारत का एकमात्र गैर-प्रवासी पक्षी है. इसकी कुछ अन्य खूबियां भी हैं, जो इन्हें दूसरी पक्षियों से अलग बनाती हैं. सारस दुनिया का सबसे ऊंचा उड़ने वाला पक्षी है, जिसकी औसत लंबाई 156 सेमी होती है. इसके पंखों का फैलाव 240 सेमी तक होता है. यही कारण है कि ये हजारों किलोमीटर की दूरी बड़े आराम से तय कर लेता हैं. ये खुले आर्द्र भूमि और दलदली इलाकों में रहना पसंद करते हैं.

सारस जड़ों, कंद और कीड़ों को अपना आहार बनाते हैं. अगस्त से अक्टूबर महीने के बीच में आमतौर पर मादा सारस अपने बच्चों को जन्म देती हैं. भारत में सारस क्रेन को दांपत्य प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है. क्रेन पक्षी खड़े होने पर एक आदमी के बराबर लंबी हो सकती है. ये सुंदर पक्षी मुख्य रूप से भूरे रंग के होते हैं, जिनके लंबे, हल्के लाल रंग के पैर होते हैं. इनकी औसत आयु 30 से 40 वर्ष की होती है.

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