भुतेश्वरनाथ मंदिर... जहां शिव खुद प्रकट हुए ! शिवरात्रि पर उमड़ा भक्तों का सैलाब

Shivratri : शिवरात्रि के मौके पर शाम को भव्य रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और शिव स्तुति का आयोजन किया जाता है. इसके बाद भगवान शिव की शिव बारात निकाली जाती है, जिसमें भूत-प्रेत, नाग, साधु-संतों की झांकियाँ होती हैं.

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भुतेश्वरनाथ मंदिर... जहां शिव खुद प्रकट हुए ! शिवरात्रि पर उमड़ा भक्तों का सैलाब

Chhattisgarh : इस समय हर जगह हर जगह महाशिवरात्रि की धूम है. छत्तीसगढ़ के भी प्रसिद्ध मंदिरों में सुबह से भक्तों का आना-जाना शुरू हो गया है. लेकिन छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में महादेव का एक बेहद खास मंदिर बना हुआ है. घने जंगलों के बीच स्थित भुतेश्वरनाथ महादेव सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि भगवान शिव के चमत्कार का प्रमाण भी है. मान्यता है कि यह शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था और हर साल धीरे-धीरे अपने आप बढ़ता है. विज्ञान भी अब तक इस रहस्य को पूरी तरह समझ नहीं पाया है. महाशिवरात्रि के दिन यहाँ हजारों श्रद्धालु पहुँचते हैं और पूरा क्षेत्र भक्ति से गूंज उठता है. इस पवित्र स्थान की मान्यता इतनी गहरी है कि यहाँ आने वाला हर भक्त शिव की कृपा से जीवन की परेशानियों से मुक्त हो जाता है. इस वजह से यह धाम छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक बन गया है.

शिवलिंग लगातार हो रहा बड़ा

कहा जाता है कि भुतेश्वरनाथ महादेव का शिवलिंग लगभग 20 फीट ऊँचा और 290 फीट परिधि वाला है. यह सतयुग से ही यहाँ मौजूद है और लगातार बढ़ता जा रहा है. भक्तों का मानना है कि यह भगवान शिव का दिव्य रूप है, जो समय के साथ विशाल होता जा रहा है. यहाँ आने वाले श्रद्धालु सच्चे मन से जो भी प्रार्थना करते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है. यही वजह है कि हर साल शिवरात्रि के अवसर पर यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है.

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महाशिवरात्रि पर क्या कुछ होता है खास ?

शिवरात्रि के मौके पर शाम को भव्य रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और शिव स्तुति का आयोजन किया जाता है. इसके बाद भगवान शिव की शिव बारात निकाली जाती है, जिसमें भूत-प्रेत, नाग, साधु-संतों की झांकियाँ होती हैं और नंदी पर विराजमान भगवान शिव की झलक देखने को मिलती है. यह बारात पूरे गरियाबंद नगर में घूमती है और फिर मंदिर लौटती है.

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रात के समय महाआरती होती है... जिसमें जब दीप जलाए जाते हैं और शिव तांडव स्तोत्र गूंजता है, तो पूरा वातावरण शिवमय हो जाता है. ऐसा लगता है मानो स्वयं कैलाश पर्वत धरती पर उतर आया हो.

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जानिए - इस जगह का इतिहास क्या ?

भुतेश्वरनाथ धाम का उल्लेख कई पुराने ग्रंथों में भी मिलता है. पहले यह स्थान घने जंगलों में छिपा हुआ था, लेकिन जब ग्रामीणों को यह शिवलिंग मिला, तब यह एक छोटे पहाड़ जैसा दिखता था. समय के साथ यह विशाल और अद्भुत प्राकृतिक शिवलिंग बन गया. अब यहाँ देश-विदेश से भक्त दर्शन के लिए आते हैं. खास तौर से शिवरात्रि के मौके पर यहाँ आस्था का सैलाब उमड़ता है.

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Disclaimer: (यहां दी गई जानकारी लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता के लिए NDTV किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी या दावा नहीं करता है. )

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