Prachin Shiv Temple: प्रेमी युगल के कारनामों से पिछले 30 सालों से बंद है ये प्राचीन शिव मंदिर, नहीं होती कोई पूजा

CG Devotee Less Temple: कहते हैं भक्त से भगवान होते हैं. यही कारण है कि भक्तों के बिना 60 वर्ष् पुराने शिव मंदिर में आज झाड़ उग आए हैं, देवी-देवताओं की मूर्तियां बिखरी पड़ी हैं, जहां महाशिवरात्रि और सावन में कभी भक्तों का रेला लगा करता था, लेकिन वर्तमान में मंदिर के पास जाने से भी लोग कतराते हैं. 

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प्रतीकात्मक तस्वीर

Prachin Shiv Temple: छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में स्थित एक 60 वर्ष पुराना प्राचीन शिव मंदिर बंद पड़ा है, जहां पिछले 30 साल से पूजा-अर्चना नहीं होती है. लंब समय बंद पड़ा मंदिर मौजूद समय में जंगल में तब्दील हो चुका है, क्योंकि लोगों ने यहां प्राण-प्रतिष्ठित भगवान की पूजा करनी छोड़ दी है.

एमसीबी जिले में स्थित 60 साल पुराना शिव मंदिर पिछले 30 सालों से बंद है. मंदिर में मौजूद जलहरी, शिवलिंग और त्रिशूल जीर्ण-शीर्ण अवस्था में मौजूद हैं. यहां पूजा 30 सालों से बंद है. मान्यता है कि भक्तों के लिए अछूत बन चुके मंदिर में पूजा करने से अनिष्ट हो जाएगा.

कभी पूरे विधि-विधान से मंदिर में होती थी दो वक्त की आरती

गौरतलब है करीब 30 सालों से बंद पड़े प्राचीन शिव मंदिर में कभी पूरे विधि-विधान से दो वक्त की आरती होती थी, लेकिन एक युगल प्रेमी के कारनामों ने मंदिर को लोगों के लिए अछूत बना दिया. बताया जाता है कि 30 साल पहले मंदिर में हादसे के बाद लोगों ने मंदिर में जाना ही छोड़ दिया.

मंदिर को अशुभ मान लिया गया, तब से ही बंद है पूजा-अर्चना

स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि करीब 30 साल पहले एक प्रेमी युगल को मंदिर के भीतर आपत्तिजनक हालत में पकड़ा गया था. इसके बाद गांव के बुजुर्गों की एक बैठक हुई थी, जिसमें पंडित रामनारायण ठाकुर की उपस्थिति में मंदिर को अशुभ मान लिया गया था. तब से ही यहां पूजा-अर्चना बंद कर दी गई थी, जो आज भी बदस्तूर जारी है.  

कहते हैं भक्त से भगवान होते हैं. यही कारण है कि भक्तों के बिना 60 वर्ष पुराने शिव मंदिर में आज झाड़ उग आए हैं, देवी-देवताओं की मूर्तियां बिखरी पड़ी हैं, जहां महाशिवरात्रि और सावन में कभी भक्तों का रेला लगा करता था, लेकिन वर्तमान में मंदिर के पास जाने से भी लोग कतराते हैं. 

युवा आगे आए, लेकिन बुजुर्ग प्राचीन मंदिर के लिए तैयार नहीं!

चिरमिरी के कुछ युवाओं ने मंदिर में पूजा-पाठ शुरु कराने का निर्णय लिया, मंदिर के पट खुलवाए, लेकिन बुजुर्ग फिर भी नहीं माने. मंदिर की साफ-सफाई में भी कोई सहयोग करने नहीं गया. रूढ़ियों से निपटने के लए युवाओं ने हिंदू संगठनों से भी संपर्क किया ताकि गांव को बुजुर्गों को समझाया जा सके, लेकिन बात नहीं बनी.

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