गणेश उत्सव पर 'डीजे' को लेकर बवाल ! पुलिस बोली- टोटल बैन है, संचालक बोले- हम तो बजाएंगे

गणेश उत्सव 27 अगस्त से यानि बुधवार से शुरू होकर 10 दिनों तक चलेगा. लेकिन, इससे पहले ही छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में प्रशासन और डीजे संचालक आमने-सामने आ गए हैं. इस बार गणेश उत्सव में मूर्ति लाने से लेकर विसर्जन तक डीजे बजाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है.

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Raipur DJ operator: गणेश उत्सव 27 अगस्त से यानि बुधवार से शुरू होकर 10 दिनों तक चलेगा. लेकिन, इससे पहले ही छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में प्रशासन और डीजे संचालक आमने-सामने आ गए हैं. इस बार गणेश उत्सव में मूर्ति लाने से लेकर विसर्जन तक डीजे बजाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. रायपुर में पुलिस प्रशासन ने मंगलवार को डीजे संचालकों की बैठक लेकर यही निर्देश दिए हैं. दूसरी तरफ पुलिस प्रशासन के इस प्रतिबंध पर डीजे संचालकों ने भी दो टूक कहा है कि यह हमारी रोजी-रोटी से जुड़ा मामला है हम तो डीजे बजाकर ही रहेंगे.

डीजे नहीं धूमाल बजाने की है अनुमति

दरअसल मंगलवार को रायपुर पुलिस प्रशासन ने आदेश जारी किया कि  गणेश उत्सव के दौरान मूर्ति लाने से लेकर पंडाल में कार्यक्रमों और विसर्जन तक डीजे बजाना पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा. सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से भी डीजे के संचालक पर नजर रखी जाएगी. रायपुर शहर के एएसपी लखन पटेल ने बताया कि इस दौरान बगैर अनुमति डीजे बजाते यदि कोई पकड़ा गया तो 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है. हालांकि इस दौरान नियम के अनुसार तय मानक के अनुरूप धूमाल बजाया जा सकता है. प्रशासन ने साफ किया है कि डीजे संचालन के लिए प्रशासन के द्वारा अब NOC भी जारी नहीं किया जाएगा.

शराब पर तो बैन नहीं तो हम पर क्यों: संचालक

दूसरी तरफ डीजे संचालकों का कहना है कि हम नियमों का पालन करते हुए डीजे बजाएंगे लेकिन उसे बंद नहीं करेंगे. क्योंकि डीजे के माध्यम से ही हमारे परिवार का पालन पोषण होता है. डीजे संचालकों ने कहा कि हमने कई बार शराब के नशे में अपराध और उससे परिवार तबाह होते देखा है. लेकिन सरकार शराब पर प्रतिबंध नहीं लगती बल्कि उसे खुद बेच रही है. दूसरी ओर हमारे पेट पर लात मारने का काम किया जाता है. प्रशासन को इस फैसले के बारे में एक बार फिर से विचार करना चाहिए.

DJ साउंड सिस्टम पर हाईकोर्ट सख्त

बता दें कि एक हफ्ते पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कानफोड़ू DJ और साउंड सिस्टम से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी. चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने सख्ती दिखाते हुए कहा था कि कोलाहल नियंत्रण अधिनियम को लागू करने में देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इसके लिए हाईकोर्ट ने शासन को तीन सप्ताह का समय दिया है। केस की अगली सुनवाई 9 सितंबर को होगी. इस अधिनियम के तहत एक लाख रुपए पेनल्टी के साथ पांच साल सजा का प्रावधान किया जाना है. देखा जाए तो राज्य में धार्मिक-सामाजिक और राजनीतिक आयोजनों के दौरान शोर-शराबा से लोग खासे परेशान रहते हैं. मरीजों के लिए यह खतरनाक साबित होता है. कई बार तो लोगों की जान पर भी बन आती है.

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