CG Dhamtari News: छत्तीसगढ़ के धमतरी से सरहद के करीब तालाब के किनारे बने मंदिर के इतिहास में ही गांव के अनोखे दस्तूर की दास्तां छपी है. तेलीन सती गांव में ना ही रावण का दहन किया जाता है और ना ही होली जलाई जाती है. वैसे इन त्योहारों की खुशियां और उमंग यहां छोटे से लेकर हर बड़े बुजुर्ग में बराबर ही नजर आती है. लेकिन इन दोनों मौकों पर गांव में आग नहीं जलाई जाती.
'अपना पति मन ही मन मान चुकी थी'
अगर कोई व्यक्ति ऐसा करने की कोशिश भी करता है, तो गांव में आफत आ जाती है. गांव वालों का कहना है कि सदियों पहले इस गांव में एक महिला बिना शादी किए एक युवक को पसंद करती थी, और उस युवक को अपना पति मन ही मन मान चुकी थी.चीता में सती हुई थी, तब से इस गांव में यह परंपरा चली आ रही है, जिसे हर शख्स मानता है.
उनकी सैकड़ों एकड़ की खेती भी थी. एक बार खेत का मेड टूट गया और इसके बाद सातों भाई ने मेड बांधने की खूब कोशिश की लेकिन वह बांध नहीं सके. एक दिन सातों भाइयों ने अपनी बहनोई को मार कर उसी मेंड मे गाढ़ दिया. जब भाई वापस घर पहुंचे. तब बहन ने पूछा तो एक भाई ने पूरी बातें बता दी.
पति के चिता में जलकर सती हो गई थी
इसके बाद बहन ने मेढ़ में जाकर अपनी पति को बाहर निकाल कर,पति के चिता में जलकर सती हो गई. इसके बाद से इस गांव में रावण के पुतले का दहन, होलिका दहन और मृत्यु उपरांत शव का दहन नहीं किया जाता. वहीं, इसकी याद में जय मां सती मंदिर भी बनाया गया है. इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश भी वर्जित है. मंदिर परिसर में इमली और नीम का पेड़ भी है.कहा जाता है कि मां सती रात से 12 बजे से 1 बजे के बीच इस मंदिर में आती हैं..लोगों के ऊपर उनका आशीर्वाद बना हुआ है, जो भी कार्य गांव में किया जाता है. माता का आशीर्वाद लेकर किया जाता है.
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तेलिनसती गांव में आज भी जारी है ये दस्तूर
बहरहाल आज जिले के साथ ही प्रदेश भर में विजयदशमी का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाएगा और पूरे शहर में लोगों के द्वारा रावण का पुतला भी दहन होगा. लेकिन इस दिन तेलिनसती गांव में रामलीला का कार्यक्रम तो होगा ही लेकिन रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाएगा.
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