Desi Jugaad: ग्रामीणों के देसी जुगाड़ ने सरकार को दिखाया आईना, बना डाला लकड़ी से ईको पुल, होने लगी तारीफ

Desi Jugaad News: ये गांव के लोग हैं, जब सरकार नहीं सुनती तो कुछ न कुछ देसी जुगाड़ निकालकर काम कर ही लेते हैं. छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में ग्रामीणों ने जो कर दिखाया है, उसकी तारीफ न सिर्फ गांव में बल्कि जिले के दूसरे गांवों में भी हो रही है. इस लकड़ी से बना ये ईको पुल लोगों के लिए बड़ा सुविधा दायक है.

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Desi Jugaad: ग्रामीणों के देसी जुगाड़ ने सरकार को दिखा दिया आईना, बना डाला लकड़ी से ईको पुल, होने लगी तारीफ.

CG News In Hindi: देसी जुगाड़ का बहुत ही शानदार इस्तेमाल किया गया है, छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के एक गांव में. दरअसल यहां गांव में पुल नहीं था. बारिश की वजह से लोगों को काफी परेशानी हो रही थी. यहां के ग्रामीणों ने प्रशासन को भी कई बार इस मामले से अवगत कराया पर जब किसी ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने खुद लकड़ी से पुल बना डाला. पुल बनने की ये खबर जैसे ही पड़ोसी गांव में पहुंची तो लोग तारीफ करने लगे...

भुंजिया परिवार ने दिखाया कमाल

भुंजिया में रहने वाले भुंजिया परिवार के ग्रामीणों ने बनाया है ये पुल.

गरियाबंद जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पीपरछेड़ी ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम पीपरछेड़ी भुंजिया में रहने वाले भुंजिया परिवार के ग्रामीणों ने बारिश में हो रही आवगमन की समस्या को देखते हुए शनिवार को खुद ही लकड़ी के पुल का निर्माण कर डाला.इनके इस कार्य से कई गांव के लोगों को बड़ी सुविधा मिल रही है. 

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"सालों पुराना पुल टूट गया"

लकड़ी से बने ईको पुल से ग्रामीणों का सफर हुआ आसान.

ग्रामीणों ने बताया कि "वे पिछले कई सालों से ग्राम सरपंच से लेकर जिले के आला अधिकारियों से इस मार्ग पर पुल बनाने की मांग लगातार करते आ रहे हैं, मगर उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. गरियाबंद से पीपरछेड़ी की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग से महज तीन सौ मीटर की दूरी पर रास्ते में वनविभाग द्वारा बनाया गया. सालों पुराना पुल टूट गया. पीपरछेड़ी भुंजिया ,अमेठी,पोटिया और फुलकर्रा में रहने वाले लगभग तीन हजार लोगों को पीपरछेड़ी आने के लिए इसी रास्ते का इस्तेमाल करना पड़ता है"

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बारिश में ये मार्ग भी बंद हो जाता है

इस मार्ग पर बड़ी मुश्किल से दो पहिया वाहनों से ही आना जाना होता है. मगर बारिश में यह मार्ग भी बंद हो जाता है, जिसके कारण पीपरछेड़ी में लगने वाले बाजार ,सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और स्कूलों से इनका संपर्क पूरी तरह से टूट जाता है. इस दौरान मिडिल और हाई स्कूल जाने वाले बच्चे स्कूल नहीं जा पाते है, और नहीं इन दौरान गांव में स्थित प्राइमरी स्कूल में आने वाले शिक्षक यहां आ पाते हैं. ग्रामीण किसी इमरजेंसी के दौरान 2 से 5 किलोमीटर के इस रास्ते के बदले 15 से 20 किलोमीटर का अधिक सफर करते है.

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"दुर्घटना का खतरा हमेशा बना रहेगा"

इस ईको पुल में तेज बारिश में बढ़ जाएगा खतरा..

पीपरछेड़ी भुंजिया के निवासी अक्षय भुंजिया ने बताया कि "अस्थाई तौर पर हम लोगों ने भले इस पुल का निर्माण कर लिया है, मगर बारिश के दौरान दुर्घटना का खतरा हमेशा बना रहेगा.पानी और कीचड़ से लकड़ी से बने इस पुल पर फिसलन आने के चलते साइकल और दो पहिया वाहन के पुल से नीचे गिरने का खतरा ज्यादा हो जाता है. वहीं, तेज बारिश होने पर यह पुल भी पानी में डूब जाएगा तो हमारे गांव के अलावा आस-पास के गांव भी टापू बन जाते हैं. रविवार को गरियाबंद एसडीएम ,नायब तहसीलदार और पटवारी यहां आए थे. हमारी समस्या और परेशानी को देखकर गए हैं, हमने मांग की है कि यहां स्थाई पुल का निर्माण करें."

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