छत्तीसगढ़ के डिप्टी CM अरुण साव ने खोले जिंदगी के राज, बताया- शादी से पहले माहिर थे इस काम में...

CG Deputy CM Arun Sao Interview NDTV: छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम अरुण साव ने NDTV के खास कार्यक्रम 'शख्सियत डायरेक्ट दिल' से में सीनियर सब एडिटर अंबु शर्मा से खास बातचीत की. उन्होंने अपनी लाइफ के कई किस्सों को साझा किया. पढ़िए पूरा इंटरव्यू...

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छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम अरुण साव ने NDTV की सीनियर सब एडिटर अंबु शर्मा से खास बातचीत की.

Deputy CM Arun Sao Interview Shakhsiyat Direct Dil se NDTV: आपको एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं जो सिर्फ नेता नहीं, एक अनुभव हैं. वो चाय बनाना नहीं भूले, पर सरकार बनाना भी जानते हैं. वो जिनकी सख्ती सुधार की ज़मीन तैयार करती है, और जिनकी सरलता दिलों को जोड़ती है. राज्य के उपमहाधिवक्ता, सांसद, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं.  वो हैं छत्तीसगढ़ के  डिप्टी सीएम अरुण साव... NDTV के खास कार्यक्रम शख्सियत डायरेक्ट दिल से में अपनी जिंदगी के कई राज खोले... उन्होंने बताया कि शादी के पहले वे खाना बनाने में माहिर थे. इसके बाद उन्हें मौका नहीं मिला. लेकिन चाय बहुत अच्छी बना लेते हैं...   

पढ़िए पूरा इंटरव्यू... 

सवाल: डिप्टी सीएम के रूप में आपकी दिनचर्या कैसी होती है?

जवाब: मेरी दिनचर्या शुरू से ही अनुशासित रही है. समय का पाबंद रहा हूं और हर कार्य निर्धारित समय में पूरा करने की आदत बचपन से है. प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद ज़रूर कुछ बदलाव आए, लेकिन एक सुव्यस्थित जीवनशैली अब भी बनी हुई है. सार्वजनिक जीवन में समय का प्रबंधन बहुत जरूरी है, और मैं इसे प्राथमिकता देता हूं.

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सवाल:  आपका बचपन और प्रारंभिक शिक्षा कैसी रही?

जवाब: मैं लोहडिया गांव का रहना वाला हूं.जहां प्राथमिक पढ़ाई की. चौथी कक्षा के बाद मुंगेली में रहकर शिक्षा प्राप्त की. मेरे पिताजी वकील थे और जनसंघ से भी जुड़े थे. उनका अनुशासन और विचारधारा मेरे व्यक्तित्व की नींव बनी. संघ की शाखाओं में जाना और विचारों को आत्मसात करना मेरे बचपन का हिस्सा रहा. B.Com और LLB की पढ़ाई पूरी करने के बाद पिताजी के साथ वकालत की और फिर उच्च न्यायालय में सरकारी वकील की भूमिका निभाई.

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सवाल: राजनीति में सक्रियता कैसे शुरू हुई?

जवाब: 2019 में मैं सांसद बना, तब से सक्रिय राजनीति की शुरुआत हुई. मुझे समाज सेवा में शुरू से रुचि थी. राजनीति मेरे लिए सिर्फ सत्ता नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम रही है. मैंने कभी कोई लक्ष्य तय नहीं किया, सिर्फ यह तय किया कि जो भी काम करूंगा, पूरी ईमानदारी और मेहनत से करूंगा. फिर प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और आज डिप्टी सीएम के पद पर हूं. 

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सवाल: प्रेरणा के स्रोत कौन रहे हैं?

जवाब: मेरे पिताजी संघ से जुड़े थे. उनके माध्यम से ही समाजसेवा की प्रेरणा मिली. उन्होंने जो मूल्य मुझे दिए ईमानदारी, परिश्रम और सेवा की भावना.वही आज भी मेरे काम का आधार हैं.

सवाल: आपके परिवार में कौन-कौन हैं?

जवाब: मेरी तीन बहनें हैं. पिताजी अब हमारे बीच नहीं हैं. छोटा भाई मुंगेली में रहता है. माताजी भी उन्हीं के साथ रहती हैं. मेरी पत्नी मीना और एक बेटा हैं. हमारा संयुक्त परिवार है, जो हमेशा एकजुट रहता है. सभी एक-दूसरे का सहारा बनते हैं और सहयोग करते हैं.

सवाल: इतने बड़े परिवार को आप समय कैसे देते हैं?

जवाब: ये सही है कि मैं जितना समय देना चाहता हूं, वो संभव नहीं हो पाता है. सार्वजनिक जीवन में व्यस्तता होती है, लेकिन हर संभव कोशिश करता हूं कि परिवार के सुख-दुख में शामिल हो सकूं. मेरी अनुपस्थिति में मेरी पत्नी मीना सभी जिम्मेदारियों को पूरी समझदारी से निभाती हैं.

सवाल: आपको खाना बनाने का शौक है?

जवाब: कॉलेज के दिनों में खुद खाना बनाता था, लेकिन शादी के बाद मौका नहीं मिला. मगर चाय बनाना आज भी पसंद है, और इसमें मैं माहिर हूं.बढ़िया चाय बना सकता हूं, जिसे सब पसंद करते हैं.

सवाल: परिवार के साथ बनाई कोई योजना जब अचानक रद्द होती है, तो आप कैसे संभालते हैं?

जवाब: ये कई बार हुआ है, और यह सार्वजनिक जीवन की एक सच्चाई है. जिम्मेदारियां जब बड़ी होती हैं, तो व्यक्तिगत योजनाएं कभी-कभी पीछे रह जाती हैं. लोग भी समझते हैं कि यह भूमिका निभाना आवश्यक है. मैं मानसिक रूप से तैयार रहता हूं और स्थिति के अनुसार प्रतिक्रिया देता हूं.

सवाल: जब आप अपने गांव जाते हैं तो क्या करते हैं?  

जवाब:  मेरे लिए गांव जाना एक भावनात्मक अनुभव है. वहां के लोगों से मिलना, उनकी बातें सुनना, खेती के बारे में चर्चा करना,ये सब बहुत आनंद देता है. मैं लंबे समय तक खेती से जुड़ा रहा हूं. खेती-किसानी के भी काम किए हैं. मैं हमेशा कोशिश करता हूं कि पैतृक गांव के लिए कुछ सकारात्मक कर सकूं.

सवाल: दोस्तों के साथ कैसे संपर्क बना रहता है?

जवाब: मेरे दोस्तों की लिस्ट लंबी है. पहले की तरह मुलाकातें नहीं हो पातीं, लेकिन हम समय-समय पर परिवार सहित मिलते हैं. संपर्क जीवंत बना हुआ है और ये मेरे लिए बहुत मायने रखता है.

सवाल: आप सरल भी हैं और निर्णयों में सख्त भी, कैसे संतुलन बनाते हैं?

जवाब: स्वभाव में सरलता जरूरी है ताकि लोग सहज महसूस करें, लेकिन जहां गलती होती है वहां सख्ती भी आवश्यक है। ये वैसा ही है जैसे माता-पिता बच्चों से स्नेह भी करते हैं और गलतियों पर टोकते भी हैं. सुधार के लिए कठोरता कभी-कभी जरूरी हो जाती है.

सवाल: क्या उस सख्ती का असर दिखाई देता है?

जवाब: बिल्कुल. विष्णु सरकार के गठन के बाद हमने कई कार्यों को गुणवत्ता और समयबद्धता के साथ किया है. लोगों में विश्वास बढ़ा है और व्यवस्था में सुधार स्पष्ट रूप से दिखता है.

सवाल: केशकाल के बाइपास के लिए बजट कई सालों से अटका पड़ा था. आपने अपने पत्र में ऐसा क्या लिखा कि गडकरी जी ने 300 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए? 

जवाब: केशकाल घाट बस्तर का प्रवेश द्वार है. केशकाल के लिए बाइपास बने इसके लिए सरकार ने प्रयास किए. नितीन गडकरीजी को कोई काम बताओ तो वे राशि देने में देर नहीं करते हैं. जैसे ही सीएम साहब और मैंने इस बारे में बताया तो उन्होंने तुरंत 300 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए.  यह छत्तीसगढ़ के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.

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