नहीं रहे नक्सल इलाके के शांतिदूत ! माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान बंशी लाल का हुआ निधन

Bansi Lal's Tragic Death : छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कांकेर (Kanker) जैसे नक्सल इलाके में शांतिदूत और आदिवासियों की जिंदगी बदलने वाले बंसीलाल नेताम की निधन की खबर ने सभी को झकझोर कर के रख दिया है. बंसीलाल माउंट एवरेस्ट की 8848 मीटर ऊंचे शिखर के फतेह पर निकले थे.

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नहीं रहे नक्सल इलाके के शांतिदूत ! माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान बंशी लाल का हुआ निधन

Chhattisgarh News in Hindi : छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कांकेर (Kanker) जैसे नक्सल इलाके में शांतिदूत और आदिवासियों की जिंदगी बदलने वाले बंसीलाल नेताम की निधन की खबर ने सभी को झकझोर कर के रख दिया है. बंसीलाल माउंट एवरेस्ट की 8848 मीटर ऊंचे शिकार के फतेह पर निकले थे. लेकिन 6400 मीटर की चढ़ाई बाद अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई. जिनका उपचार नेपाल के काठमांडू में चल रहा था. जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

जानिए कौन थे बंशी लाल नेताम ?

DSP अविनाश ठाकुर ने बताया कि बंसीलाल नेताम पुलिस विभाग में कांस्टेबल के पद पर पदस्थ थे. जो कि माउंट एवरेस्ट अभियान के लिए 70 दिनों की परमिशन लेकर विभाग से गए हुए थे. उस दौरान उनकी 20 मई को उनकी तबीयत अचानक से बिगड़ी और 21 मई को उन्हें काठमांडू के अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन उनकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब थी. डॉक्टरों ने सलाह दी की उन्हे एयरलिफ्ट करना संभव नहीं है. इसके बाद उन्हें 1 हफ्ते के अपजर्वेशन में रखा गया था. विभाग से भी सतत निगरानी की जा रही थी. रिपोर्ट एम्स भी भेज दी गई थी. लेकिन आज दोपहर में उनकी दुखद खबर सामने आई.

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वल्ड रिकार्ड में दर्ज है नाम

बता दें कि बंशीलाल ने बहुत सी उपलब्धियां हासिल की है. साल 2003 में खेलदूत के रूप में पूरे भारत का भ्रमण कर चुके है. साल 2018 में साइकिलिंग करते हुए उन्होंने चारों महानगरों को जोड़ने वाली स्वर्णिम चतुर्भुज जिसकी दूरी 6000 किलोमीटर है, उसे 16 दिन 16 घंटे में पूरा किया है. जिनका नाम गोल्डन बुक ऑफ वल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है. वहीं, उन्होंने साल 2018 में ही खेल क्षेत्र के अध्यन के लिए पूरे भारत की 29000 हजार किलोमीटर की लंबी यात्रा बुलेट से तय की थी.

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एवरेस्ट फतह करना था लक्ष्य

पर्वतारोहण का शौक रखने वाले बंशी लाल नेताम अपनी ट्रेनी तीन आदिवासी युवतियों के साथ माउंट एवरेस्ट की फतह कर अपना लक्ष्य पूरा करना चाहते थे. जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है. बंशीलाल 6400 मीटर की ऊंचाई तक ही पहुंच पाए थे. उनकी सोच थी कि पहली बार नक्सलगढ़ बस्तर कि आदिवासी बेटियां फतह करे. लेकिन उनकी यह इच्छा अधूरी रह गई.

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हजारों बच्चों के लिए था जुनून

बंशीलाल निःशुल्क ट्रेनिंग दिया करते थे. उनकी इच्छा थी कि बस्तर के जंगलों से हजारों की तादात में बच्चे निकल कर खेल के क्षेत्र में आगे आए. जिससे राज्य, राष्ट्र ही नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर बस्तर का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो जाये.

तीन बेटियों संग किया शिखर फतेह

बंशीलाल ने एक एकेडमी की शुरुआत की थी. जिनमे वह 120 बच्चो को निःशुल्क ट्रेनिंग दिया करते थे. यही की तीन आदिवासी बेटियां कल्पना भास्कर, आरती कुंजाम और दशमत वट्टी के साथ देव टिब्बा पर्वतमाला जिसकी ऊंचाई 6001 मीटर है.... और इन्द्रासन पर्वत जिसकी ऊंचाई 6221 मीटर है. इस पर्वत की ऊंचाई को पहली बार फतह करने वालो में छत्तीसगढ़ की इन बेटियों के साथ इनका का नाम आ चुका है.

2006 से पुलिस विभाग में पदस्थ

खेल के प्रति रुचि रखने वाले बंशीलाल नेताम पुलिस की साल 2006 में पुलिस विभाग में बतौर PTI के पद पर बीजापुर में उनकी पहली पोस्टिंग हुई. साल 2019 में बीजापुर से कांकेर ट्रांसफर होने के बाद उन्होंने अपने सपनो को रंग देने की सोची. उन्होंने जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर निःशुल्क गोटूल एकेडमी की शुरुआत की. पैसों की कमी बाधा बनने लगी तो प्रकृति को अपना औजार बनाया और प्रशिक्षण देना शुरु किया था.

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