अब तो सुन लो सरकार... मांग के बाद भी नहीं बना पुल, जान जोखिम में डालकर नदी-नाला पार कर रहे ग्रामीण 

CG News: छत्तीसगढ़ में मूसलाधार बारिश के बीच नक्सल इलाके के ग्रामीणों की मुसीबत बढ़ गई है. दैनिक ज़रुरतों को पूरा करने के लिए ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं. धुर नक्सल इलाके के ग्रामीणों की समस्याओं को जानने के लिए NDTV की टीम ग्राउंड पर पहुंची. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में मलगेर नाला उफान पर है. इसके पार रहने वाली 4000 से ज्यादा की आबादी को दैनिक ज़रुरतों को पूरा करने के लिए जान जोखिम में डालकर नदी पार करना पड़ रहा है. इस नाला पर पुल बनाने की मांग ग्रामीण कर चुके हैं. लेकिन नक्सलियों के खौफ के कारण प्रशासन इसके लिए जोखिम नहीं उठा पा रहा है. 

ग्रामीणों के लिए खड़ी हुई मुसीबत 

बस्तर में हो रही लगातार बारिश के बाद नदी-नाले उफान पर हैं. कई गांवों का सम्पर्क मुख्यालयों से कट चुका है. ऐसे में बड़ी आबादी को रोजमर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी रही है. ऐसी ही एक तस्वीर दंतेवाड़ा जिले की है. यहां मलगेर नाला उफान पर है.

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इसके पार बसे कई गांवों के लिए अब दैनिक ज़रूरतों को पूरा करने लिए मुसीबत खड़ी हो गई है. ऐसे में जान जोखिम में डालकर ग्रामीण उफनते नाले को पार कर रहे हैं. 

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दंतेवाड़ा के बुरगुम, नीलावाया, रेवाली जैसे गांव बारिश की वजह से टापू में तब्दील हो गए हैं  नक्सलवाद से घिरे इस इलाके में सरकार की पहुंच अब तक नहीं है. नक्सली पुल बनने नहीं दे रहे हैं. ऐसे में ग्रामीणों को लंबे समय से इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

कई बार मांग कर चुके हैं ग्रामीण 

बुरगुम और बर्रेम  गांव के पास बहने वाली मलगेर नाला के उफान में होने से ग्रामीणों को रोजमर्रा के जरूरत के सामान के लिए अपनी जिंदगी दांव में लगाकर नाला पर खतरा उठाते हुए इस पार से उस पार  नाला को पार करना पड़ रहा है.

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ग्रामीणों का कहना है कि सालों से नाला पर पुल बनाने की मांग करने के बावजूद भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. लिहाजा अपनी रोजमर्रा के जरुरतों के लिए इसी तरह नाला को पार करना पड़ता है.

नक्सलियों की रहती है मौजूदगी 

कुआकोंडा में बुरगुम और रेवाली इलाके में मलगेर एरिया कमेटी के नक्सलियों की मौजूदगी रहती है .यहां मलगेर  नदी में बने पुल को नक्सलियों ने सालों पहले तोड़ दिया है. वहीं  कुछ जगह अब तक पूल भी नहीं बन पाए हैं.  जिसके चलते इस क्षेत्र के बुरगुम. रेवाली गोंडेरास. चीरमुर जैसे गांव बारिश के मौसम में टापू में तब्दील हो जाते है. इस इलाके में बसने वाले लगभग  4 हजार से अधिक ग्रामीणों को बरसात के 4 महीने मलगेर नाला के उफनते पानी को खतरा उठाकर पारकर अपनी दैनिक जरूरत का सामान लेने पालनार और दंतेवाड़ा आना पड़ता है. इस इलाके में अब तक सरकार की सड़क और पुल नहीं बन पाई है .

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