Naxal Area School: खूंटे पर स्कूल की घंटी टंगी है और खंभे पर अल्फाबेट का पोस्टर झूल रहा है. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के पदामीपारा में झोपड़ी में ही पूरी पाठशाला चल रही है. शिक्षा विभाग अब तक कटेकल्याण ब्लॉक के चिकपाल के पदामीपारा और बड़े गादम में कोई स्कूल नहीं बना पाया है. ये स्थिति इस जिले में अधिकांश जगह बनी हुई है. ऐसे में सवाल ये है कि इस हालात में नक्सलगढ़ के बच्चों का भविष्य आखिर कैसे गढ़ेगा ?
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण चिकपाल के पदामीपारा में मीडिया की टीम इस स्कूल में पहुंची तो यह स्कूल कम किसी ग्रामीण की झोपड़ी नजऱ आ रही थी. जब इस झोपड़ी पर घण्टी और अंदर कुछ किताबें दिखी तो यकीन हो गया कि यही नक्सलक्षेत्र का पदामीपारा स्कूल है, जहां नक्सलवाद के चलते शिक्षा का अलख प्रशासन इस क्षेत्र में जगा नहीं पा रहा है. वहीं दूसरे स्कूल बड़ेगादम पर टूटी कुर्सी फटी दीवारें और जमीन पर बैठे बच्चे दिखाई दिए. इस तरह से दंतेवाड़ा जिले में शिक्षा व्यवस्था के हालात आज भी मौजूद हैं.
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मिली है स्वीकृति
बड़ी बात ये है कि स्कूल भवन बनाने के लिए सरकार से स्वीकृति भी मिली है कि लेकिन आधा शिक्षा सत्र बीतने के बाद भी एक भी जगह जिले में नया भवन बनाने की दिशा में काम नहीं हुआ है. दंतेवाड़ा जिले के 4 ब्लॉक के ये सभी 39 स्कूल बेहद ही अंदुरुनी और नक्सलग्रस्त दुर्गम क्षेत्र में हैं. जिनका स्कूल भवन नहीं होने के कारण शिक्षा व्यवस्था चरमरा रही है.जिला शिक्षा अधिकारी SK अंबस्ट ने बताया कि जिले के 68 स्कूल को डिस्मेंटल कर फिर से नवीन भवन बनाना है. वहीं 39 भवनविहीन स्कूलों पर भवन बनाने के लिए 6 करोड़ 50 लाख रुपये की मंजूरी मिली है. स्कूलों की मरम्मत का काम चल रहा है.
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