Chhattisgarh News: मूक बधिर बच्ची से बलात्कार मामले में गांव के बच्चों की गवाही के आधार पर दोषी की सजा को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है. हालांकि पीड़िता स्वयं के साथ हुए अपराध को ट्रायल कोर्ट में नहीं बता सकी, लेकिन उसके साथी बच्चों ने पूरी सच्चाई कोर्ट को बता दी. हाईकोर्ट ने बच्चों की गवाही और फॉरेंसिक रिपोर्ट को दोष सिद्धि के लिए पुख्ता साक्ष्य माना है और हाईकोर्ट ने आरोपी की अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत के निर्णय को बरकरार रखा है.
3 अगस्त 2019 की है घटना
दरअसल धमतरी जिले की रहने वाली मानसिक रूप से कमजोर मूक बधिर बच्ची 3 अगस्त 2019 की दोपहर गांव के अन्य बच्चों के साथ आरोपी चैन सिंह के घर टीवी देख रही थी. दोपहर 3.30 बजे आरोपी आया और पीड़िता का हाथ पकड़ कर दूसरे कमरे के अंदर ले गया. साथ टीवी देख रहे बच्चों ने बंद दरवाजा धक्का देकर खोला तो देखा कि आरोपी पीड़िता के साथ गलत काम कर रहा था, बच्चों को देख आरोपी उसे छोड़कर भाग गया। बच्चों ने इसकी जानकारी पीड़िता की मां को दी तब पीड़िता की मां ने देखा कि उसके हाथों की चूड़ियां टूटी हुई थी, कपड़े भी ठीक नहीं थे.
पीड़िता ने थाने में कराई थी रिपोर्ट
पीड़िता के परिजनों ने मामले की रिपोर्ट थाने में लिखवाई थी. मेडिकल जांच में डॉक्टर ने पीड़िता के मानसिक अस्वस्थ व मूक बधिर होने की रिपोर्ट दी थी. पुलिस ने कपड़े जब्त कर एफएसएल जांच के लिए भेजे थे.
न्यायालय में मामले की सुनवाई बाद दोष सिद्ध होने पर आरोपी को 376 (2) में 10 साल कैद, 5000 रुपए अर्थदंड और पीड़िता के अनुसूचित जनजाति वर्ग से होने पर एससीएसटी एक्ट में आजीवन कारावास व 5000 रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई थी.
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में ये कहा
आरोपी ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी. मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. आरोपी ने अपील में कहा कि उसे फंसाया गया है. पीड़िता का परीक्षण नहीं किया गया, पीड़िता ने भी इस संबंध में कुछ नहीं कहा है. हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि पीड़िता मूक-बधिर और मानसिक रूप से फिट नहीं है, वह बोल भी नहीं सकती. इसलिए उससे गवाह के रूप में पूछताछ नहीं की गई. उसकी मां ने बताया है कि साथ गए बच्चों ने पीड़िता को आरोपी द्वारा घर के अंदर खींचते देखा था. बच्चों ने दरवाजे को धक्का दिया, तो देखा कि वह बलात्कार कर रहा था. इसके अलावा, एफएसएल रिपोर्ट की रिपोर्ट से साबित होता है कि आरोपी ने पीड़िता के साथ बलात्कार किया है जिस आरोपी की अपील खारिज की जाती है.
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