Bilaspur: भूपेश बघेल के घर ED के छापे के बीच बिलासपुर कांग्रेस पीसीसी सचिव सिद्धांशु मिश्रा गिरफ्तार, जानें पूरा मामला

Chhattisgarh News: कांग्रेस पीसीसी सचिव सिद्धांशु मिश्रा पर खसरा नंबर बदलकर किसी और की जमीन बेचने का गंभीर आरोप है. पुलिस ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया .

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

Congress PCC secretary Siddhanshu Mishra arrested: पूर्व सीएम व कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के घर पर ईडी के छापे को लेकर छत्तीसगढ़ में राजनीति गरमाई हुई है. इस बीच बिलासपुर में पीसीसी सचिव सिद्धांशु मिश्रा को सरकंडा थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर केंद्रीय जेल भेज दिया है. सिद्धांशु मिश्रा की गिरफ्तारी जमीन घोटाले के एक बड़े मामले में हुई है. मिश्रा पर खसरा नंबर बदलकर किसी और की जमीन बेचने का गंभीर आरोप है. पुलिस ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया .

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

मिली जानकारी के अनुसार, 2010-11 में खसरा नंबर 424 की भूमि का फर्जी 22 बिंदु प्रतिवेदन तैयार कर सिद्धांशु मिश्रा ने जोरापारा क्षेत्र में स्थित खसरा नंबर 409 की जमीन पर कब्जा कर लिया था. इस घोटाले में उन्होंने तत्कालीन पटवारी चंदराम बंजारे और कमल किशोर कौशिक से साठगांठ की थी. सरकंडा जोरापारा पटवारी हल्का 32 में 56 डिसमिल जमीन सोनिया बाई और अन्य तीन व्यक्तियों के नाम पर दर्ज थी. सिद्धांशु मिश्रा ने इस जमीन को बेचने के लिए मुख्तियारनामा हासिल किया, जबकि यह जमीन पहले ही बेची जा चुकी थी.

सार्वजनिक जमीन की भी बिक्री

इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि सार्वजनिक उपयोग की भूमि, जैसे सड़क और नाली की जमीन, भी गलत तरीके से बेची गई. इस घोटाले को अंजाम देने के लिए मिश्रा ने पटवारी और राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार कराए और सरकारी रिकॉर्ड में हेरफेर की.

मिश्रा ने गेंदराम गुप्ता की भूमि (खसरा नंबर 409) को चंद्रकुमारी फणनवीस, विलास शर्मा, अरुणा शर्मा, निलिनी शुक्ता और अर्चना जायसवाल को बेच दिया, जबकि असली मालिक गेंदराम गुप्ता थे, जिन्होंने अपनी जमीन कभी बेची ही नहीं थी.

Advertisement

कोर्ट ने पुलिस जांच को किया था खारिज

इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब पीड़ित पक्ष ने न्यायालय में परिवाद दायर किया. पुलिस ने इस पर जांच की और अस्पष्ट रिपोर्ट कोर्ट में पेश की, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया. इसके बाद मामला थाने में ही दबा दिया गया. बाद में पुलिस प्रशासन को इस मामले में लापरवाही बरतने के लिए कोर्ट से फटकार लगी. इसके बाद नगर पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बघेल को दोबारा जांच का आदेश दिया गया.

पुलिस जांच में बड़ा खुलासा

नए सिरे से हुई जांच में यह सामने आया कि सिद्धांशु मिश्रा ने पटवारी चंदराम बंजारे और कमल किशोर कौशिक के साथ मिलकर खसरा नंबर 424/1, 424/4, 424/5, और 424/6 का फर्जी प्रतिवेदन तैयार किया था. इसके जरिए गेंदराम गुप्ता की भूमि (खसरा नंबर 409) को दूसरी जमीन बताकर बेच दिया गया.

Advertisement

पटवारी और अन्य आरोपी फरार

जांच में तत्कालीन पटवारी चंदराम बंजारे, कमल किशोर कौशिक और प्रॉपर्टी डीलर सिद्धांशु मिश्रा को दोषी पाया गया. पुलिस ने सिद्धांशु मिश्रा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जिसके बाद उन्हें केंद्रीय जेल भेज दिया गया. हालांकि पटवारी चंदराम बंजारे और कमल किशोर कौशिक अभी भी फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश कर रही है. इस मामले में IPC की धारा 167, 420, 465, 467, 468, 471, 474, 120B के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(क)(ख), 13(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के अन्य मामलों की भी जांच की जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. इस घोटाले में शामिल अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है.

Advertisement

ये भी पढ़े: MP Budget Session: बजट सत्र का आज दूसरा दिन, मोहन सरकार पेश करेगी अपना दूसरा अनुपूरक बजट