CG News: सात साल बाद भी मिर्च प्रोसेसिंग यूनिट में नहीं शुरू हो पाया काम, लाखों की मशीन कबाड़

chilli processing unit Jashpur: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के पठारी क्षेत्रों में हर साल हजारों हेक्टेयर में मिर्च की खेती होती है. मिर्च के उत्पादन को देखते हुए सन्ना क्षेत्र में 7 साल पहले 1 करोड़ की लागत से मिर्च प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की गई थी. लेकिन 7 साल बाद भी इस प्रोसेसिंग यूनिट में ताला लटका हुआ है और यह प्रोसेसिंग यूनिट सफेद हाथी साबित हो रहा है. 

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chilli processing unit Jashpur: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के पठारी क्षेत्रों में हर साल हजारों हेक्टेयर में मिर्च की खेती होती है. पठारी क्षेत्र के हजारों किसान हर साल मिर्च की खेती करते हैं और मिर्च का बम्पर उत्पादन इस क्षेत्र में होता है. मिर्च के उत्पादन को देखते हुए सन्ना क्षेत्र में 7 साल पहले 1 करोड़ की लागत से मिर्च प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की गई थी. लेकिन 7 साल बाद भी इस प्रोसेसिंग यूनिट में ताला लटका हुआ है और यह प्रोसेसिंग यूनिट सफेद हाथी साबित हो रहा है. 

जशपुर जिले का पठारी क्षेत्र सैकड़ो किलोमीटर में फैला है. इस क्षेत्र में मिर्च की खेती हजारों हेक्टेयर में की जा रही है. मिर्च की फसल तो किसानों की अच्छी होती है लेकिन किसानों को उन फसलों का उचित दाम नहीं मिल पाता है. कुछ किसान स्थानीय बिचौलियों को अपनी फसल बेच देते हैं तो कुछ किसानों उत्तर प्रदेश और झारखंड, बिहार तक अपनी फसलों को बेचने जाते हैं और मंडी में अपनी फसल बेचते है. ऐसे में किसानों को अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ता है और कभी कभी मिर्च के दाम 5 से 6 रुपए किलोग्राम तक गिर जाते हैं ऐसे में किसानो को खासा नुकसान उठाना पड़ता है.

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सात साल पहले बना था मिर्च प्रोसेसिंग यूनिट का भवन  

क्षेत्र में जब मिर्च प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना हो रही थी तो किसानों में खुशी का माहौल था की अब उनकी मिर्च की फसल का उचित दाम मिलेगा.शासन द्वारा स्थापित इस प्रोसेसिंग यूनिट में किसानों से मिर्च की फसल खरीदकर उसे प्रोसेसिंग करके बाजार में बेचना था. 7 साल पहले प्रोसेसिंग यूनिट का भवन बनकर तैयार हो गया है और यहां सभी आवश्यक मशीनरियों पर भी लाखों खर्च किया गया है. लगभग 1 करोड़  की लागत से यह यूनिट तैयार हुआ है.जिसमे भवन के लिए 61 लाख और मशीनरी के लिए 40 लाख रुपये खर्च किये गए हैं.लेकिन सालों से इस प्रोसेसिंग यूनिट पर ताला लटका हुआ है और किसान औने पौने दामो पर अपनी मिर्च की फसल बेचने को मजबूर हैं.

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क्या कहते हैं अधिकारी? 

उद्योग विभाग के अधिकारियों का कहना है की इस प्रोसेसिंग यूनिट में काम करने के लिए एफपीओ समूह के रुचि नहीं दिखाने की वजह से प्रोसेसिंग यूनिट शुरू नहीं हो पाया है तो सवाल यह उठता है की जब इसके लिए कोई प्लानिंग की ही नहीं गई थी तो इस तरह के उद्योग के लिए 1 करोड़ से भी ज्यादा क्यों खर्च कर लिए गए. जिला उद्योग अधिकारी एमएस पैंकरा का कहना है कि इसकी लागत लगभग 40 लाख की है. इसका उद्देश्य मिर्च को प्रोसेस्ड करना था. जल्द से जल्द इसे चालू कराया जाएगा. 

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