सहकारी शक्कर कारखानों से उठ रहा किसानों को भरोसा! यहां बेचना पड़ रहा है गन्ना, क्या है वजह?

Chhattisgarh Sugar Industry in Crisis: छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में स्थित सहकारी शक्कर कारखानों में गन्ना पेराई की स्थिति खराब है. किसानों को समय पर भुगतान नहीं मिल रहा है, जिससे वे गुड़ उद्योगों में अपना गन्ना बेचने को मजबूर हैं. गुड़ उद्योग संचालक किसानों को अधिक दाम दे रहे हैं, जिससे शक्कर कारखानों को गन्ना नहीं मिल पा रहा है.

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कवर्धा शक्कर कारखाना

Chhattisgarh sugar factory: छत्तीसगढ़ का कवर्धा जिला गन्ना की खेती के लिए प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान रखता है. दो दशक से यहां के किसान सहकारी शक़्कर कारखाना में अपना गन्ना बेचते आ रहे हैं और इसमें कोई दो राय नहीं की उनकी आर्थिक स्थिति इससे मजबूत हुई है. जिले में दो सहकारी शक़्कर कारखाना पहला भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना रामहेपुर कवर्धा और दूसरा सरदार वल्लभ भाई पटेल सहकारी शक्कर कारखाना स्थापित है जो वर्तमान में संचालित हो रहा है,लेकिन इस बार कारखाना गन्ना पेराई के मामले में अपने लक्ष्य के आधे दूर तक नहीं पहुंच पाया है और पेराई बंद होने के स्थिति में है.इसमें सबसे कम पेराई सरदार वल्लभ भाई पटेल शक़्कर कारखाना में हुई है.

लिहाजा इस बार किसानों को समर्थन मूल्य, प्रोत्साहन राशि और अतिरिक्त रिकवरी राशि कम मिलेगी. फरवरी 14 फरवरी 2025 तक की स्थित में भोरमदेव शक्कर कारखाना में लगभग 2.72 लाख और सरदार पटेल शक्कर कारखाना में 1.48 लाख मिट्रिक टन के करीब खरीदी हुई है.

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सरदार वल्लभ भाई पटेल कारखाना की स्थिति

पंडरिया में स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल सहकारी शक़्कर कारखाना के प्रबंध संचालक उत्तरा कौशिक ने बताया  पेराई सत्र 2024-25 में इस बार गन्ना पेराई दिसंबर महीने में शुरू हुआ जो लगभग 82 दिन तक चला है इसमें हाल में गन्ना आपूर्ति कम होने के कारण 10 दिन नो केन रहा. इस वर्ष गन्ना पेराई का लक्ष्य लगभग 4 लाख मिट्रिक टन रखा गया है जो कामोंबस हर साल रखा जाता है. पिछले वर्ष 3 लाख मिट्रिक टन गन्ना की खरीदी हुआ था. इस बार 148546 मिट्रिक टन 14 फ़रवरी की स्थिति में गन्ना खरीदी हुआ है जो पिछले वर्ष की स्थिति में आधा है, वहीं गन्ना खरीदी बंद हेतू दो बार नोटिस जारी किया जा चुका है अंतिम तीसरे नोटिस के बाद गन्ना पेराई बंद कर दी जाएगी.

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किसानों को नहीं हुआ अब तक पूर्ण भुगतान

दोनों सहकारी शक्कर कारखाना में किसानों से समर्थन मूल्य पर गन्ना खरीदी किया जाता है, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से प्रत्येक किवंटल 315 रूपये मूल्य निर्धारित किया गया है. इसके अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा 40 रूपये प्रति किवंटल प्रोत्साहन राशि दी जाती है. यदि शककर रिकवरी 9.5% से अधिक आती है तो दोनों राशि के अलावा किसानों को प्रति किवंटल 33 रूपये और दी जाती है इस प्रकार प्रति किवंटल 388 रूपये भुगतान किया जाता है.
वर्तमान में सरदार वल्लभ भाई पटेल सहकारी शक्कर कारखाना पंडरिया द्वारा किसानों से 46 करोड़ 83 लाख रूपये का गन्ना खरीदी किया जा चुका है, जिसमें किसानों के खाते में 4 करोड़ 15 लाख भुगतान किया गया है. वहीं भोरमदेव सहकारी शक़्कर कारखाना रामहेपुर कवर्धा में लगभग 82 करोड़ रूपये का गन्ना खरीदी किया गया, जिसमें 45 करोड़ रूपये भुगतान किया गया है. इस तरह लगभग तीन महीने में किसानों को पूर्ण भुगतान नहीं किया गया है.

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गुड़ फैक्ट्री में अधिक दाम कारखाना के लिए बना रोड़ा

कबीरधाम जिला में लगभग 700 सौ गुड़ उद्योग संचालित हो रहा है जिसे गुड़ उद्योग संचालक कई नियम कायदो को ताक में रखकर संचालित कर रहे है और गुड़ की जगह शीरा बना रहे है, हालंकि की यह गन्ना किसानों के लिए फायदेमंद है क्योंकि गुड़ उद्योग संचालक को गुड़ बनाने की अपेक्षा शीरा बनाने में अधिक लाभ मिलता है. इसके चलते गन्ना को अधिक दाम में खरीदी करते हैं. वर्तमान में गुड़ उद्योग संचालक किसानों का गन्ना प्रत्येक किवंटल 450 रूपये से 480 रूपये में खरीदी कर रहे हैं, जो शक्कर कारखाना की तुलना में लगभग 100 रूपये अधिक है. इसके साथ ही किसानों को गुड़ उद्योग में गन्ना का दाम नकद प्राप्त हो जाता है. जबकि कारखाना में सम्पूर्ण राशि प्राप्त करने में साल भर लग जाता है. इसके कारण किसान अब शक्कर कारखाना से अपना मुंह मोड़ रहे हैं.

किसानों को समय पर भुगतान और प्रोत्साहन करने की जरुरत

कबीरधाम जिला में स्थापित भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना में लगभग 23000 पंजीकृत शेयर धारी हैं. वहीं सरदार वल्लभ भाई पटेल शक्कर कारखाना में 11000 हजार शेयर धारी किसान पंजीकृत हैं. जिसमें लगभग 30 प्रतिशत किसान गन्ना नहीं बेचते. किसानों को समय पर भुगतान और गन्ने की उच्च किस्म की पैदावार करने की अधिक आवश्यकता है, जिससे किसान कारखाना के प्रति ज्यादा जुड़ाव रखेंगे. इसके साथ ही गन्ना का कीमत भी बढ़ाने की अवश्यकता जिससे किसान और समृद्धि होंगे. हालंकि किसान संघ ऐसे मुद्दों को लेकर कई बार शासन प्रशासन के पास मांग रख चुके हैं लेकिन उचित पहल नहीं हो रहा है.

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