प्यास बुझाने के लिए कोसों का सफर... कहां लापता हो गई नल जल योजना ?

CG Water Crisis: मीलों की दूरी पर प्यास का ठिकाना है, ये गर्मियों में प्यास बुझाने का ये चलन कुछ सालों का नहीं बल्कि दशकों का है. जहां पानी के लिए ग्राणीण आज भी नदी, झिरिया पर निर्भर हैं.

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Drinking Water Crisis In Chhattisgarh:  छत्तीसगढ़ में आज भी ऐसे कई गांव हैं, जहां प्यास के लिए मीलों चलना पड़ता है.  कुछ ऐसा ही हाल मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के गांवों का है. यहां आज भी ग्रामीण नदी, झिरिया से पानी पीने को मजबूर हैं. ग्रामीण आज भी इन्हीं जल स्रोतों पर निर्भर हैं. भीषण गर्मी में पानी लेने के लिए लोगों को 2 से 3 किमी दूर तक जाना पड़ता है. उबड़-खाबड़ रास्ते से होकर लोग झिरिया तक पहुंचकर पानी भरकर लौटते हैं. शासन-प्रशासन विकास के खोखले दावें करती है, लेकिन वार्ड में आज भी आदिवासी और पंडों जनजाति के साथ ही स्थानीय लोग भी झिरिया से पानी लाकर किसी तरह अपना गुजारा कर रहे हैं.

जानिए क्या है समस्या ? 

आपको बता दें कि एमसीबी जिले के उजियारपुर गांव से कुछ दूरी पर ही ग्राम पंचायत सोनवर्षा है जिसका आश्रिम ग्राम महादेव टिकरा है. यहां कुछ घर गोंड आदिवासी व पंडो जनजाति के लोग निवास करते हैं. यहां करीब 22 घर हैं, सभी के सभी झिरिया का पानी पीते हैं. गांव की मितानीन नयन कुंवर का कहना है कि गांव में कहने को 2 हैंडपंप हैं लेकिन दोनो में गंदा पानी निकलता है. जल जीवन मिशन का काम हुआ है, लेकिन आज तक उसमें पानी नहीं आता. 

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अधिकारियों को नहीं कोई सरोकार 

ग्रामीणों का कहना है कि वो जब से यहां रह रहें हैं, तभी से झिरिया का पानी पी रहे हैं. पानी के लिए उन्हें झरिया तक जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है.एसडीएम मनेंद्रगढ़ लिंगराज सिदार ने कहा कि मामला संज्ञान में आने के बाद मैंने पीएचई के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि गांव में पानी की व्यवस्था करें ताकि लोगों को झिरिया से पानी लेने के लिए न जाना पड़े. उन्होंने कहा कि व्यवस्था बनाने के लिए जल्द से जल्द प्रयास करेंगे.

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