Anti Naxalite Operation: यहां एक साल में 240 से ज्यादा माओवादियों का हुआ सफाया, देखिए NDTV ग्राउंड रिपोर्ट

Chhattisgarh Naxal Encounter: गढ़चिरौली के वानडोली पर ग्राउंड रिपोर्ट करने पहुंची NDTV की टीम, यहीं 17 जुलाई को हुई थी सुरक्षा बल और नक्सलियों की मुठभेड़. साल 2024 में 240 से ज्यादा माओवादी मारे गए हैं. हमने पाया कि सुरक्षा बलों के ऑपरेशन से नक्सालियों की दहशत कम हुई है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

Naxals Killed in Encounter: छत्तीसगढ़ में लाल आतंक का दायरा लगातार सिकुड़ रहा है. सुरक्षा बल कांकेर, नारायणपुर, दंतेवाडा सुकमा और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली सीमा वाले अबुझमाड़ के जंगलों में पहुंच चुके हैं. आए दिन एनकाउंटर में नक्सली ढेर (Naxal Encounter) हो रहे हैं. इसी साल अब तक 240 से ज्यादा नक्सली (Naxalites) मारे जा चुके है, इतनी बढ़ी संख्या में नक्सालियों के मारे जाने के बाद अंदुरूनी इलाकों में क्या हाल है? क्या माओवाद की दहशत कम हुई है? इसे जानने के लिए NDTV की टीम कांकेर बॉर्डर से लगे गढ़चिरौली में मतदान कवरेज के बाद के वानडोली गांव पहुंच गई. वानडोली वो जगह है जहां 17 जुलाई को महाराष्ट्र की सी 60 फ़ोर्स के साथ माओवादियों की भीषण एनकाउंटर हुआ, जिसमें 12 माओवादियों मारे गए थे एक जवान भी घायल हुआ था. देखिए हमारी ग्राउंड रिपोर्ट

वानडोली जाते ही क्या दिखा?

NDTV की टीम गढ़चिरौली के झाडापापड़, दुर्गापुर,पेंड्री, जरवंडी, भापडा में मतदान के बाद भापडा से करीब 15 किमी दूर वानडोली की लिए रवाना हुई. सुनसान रास्ते में 5 किमी दूर चलने के बाद एक नाला मिला उसके आगे गाड़ी जा नहीं सकती थी, कुछ देर आगे जाने की जुगत में थे, एक बाइक सावर नाले को पार करते दिखा, उसे रोकना चाह लेकिन वो रुका नहीं, शायद जंगल में बाहरी लोग को देख उसने बचकर जाना ठीक समझा. कुछ देर इन्तजार के बाद दूर से दो युवक बाइक से आते दिखे, उन्हें रोककर पूछा तो उन्होंने बताया अन्दर के गांव में कुर्सी बेचने गए थे, हमने उनसे साथ में चलने के लिए बोला, लेकिन उन्होंने ने मना कर दिया. हमने उनसे बोला कि 6 कुर्सी जो बची हैं, इसे बेचने में कितना मुनाफा होगा? उन्होंने बोला 4 सौ रुपये. हमने उनसे कहा 400 रूपए हम चुका देंगे, उसके बाद उस युवक ने साथ में चलने की हामी भर दी. कुर्सियों को कार में रखकर NDTV की टीम आगे बढ़ी.

Advertisement
नाला पार करने के बाद 3 से 4 किमी दूर एक छोटा गांव दिखा. इस गांव में मुश्किल से 7 से 8 घर दिख रहे थे. गांव के लोगों से बात करने की कोशिश की पहले तो लोगों ने मना कर दिया बाद में फोटो-वीडियो ना बनाने की शर्त पर बात करने लगें. 

नक्सलवाद से मुक्ति चाहते हैं ग्रामीण

वानडोली के रस्ते पर एक युवक ने कहा वे भी चाहते हैं कि उनके गांव तक पक्की सड़क बने, उनके घर में भी आसानी गाड़ियां पहुंच सकें. 17 जुलाई की मुठभेड़ के बाद इस इलाके में माओवादियों के बारे सुना नहीं है. नक्सली अभी शांत हैं या एनकाउंटर के डर से बैकफुट में हैं, यह कह नहीं सकते हैं.

Advertisement

एनकाउंटर स्थल वानडोली गांव में क्या हुआ था?

17 जुलाई को वानडोली गांव में महाराष्ट्र पुलिस की सी 60 फ़ोर्स को सूचना मिली थी कि माओवादियों के बड़े कैडर की टुकड़ी का डेरा है. उसके बाद सी 60 फ़ोर्स ने माओवादियों को घेर लिया दोनों तरफ जमकर फायरिंग हुई, जिसमें 12 माओवादी मारे गए थे. NDTV से एक गांव वाले ने बताया फायरिंग की आवाज सुनकर वे गांव छोड़ कर चले गए थे, बाद में उन्होंने ने सुना कि माओवादी मारे गए हैं.

Advertisement

युवक ने कहा- अब डर कम हुआ है

मध्यप्रदेश के मंदसौर के निवासी शख्स अपने चाचा के लड़के के साथ पखांजूर से कुर्सी बेचने हर दिन महाराष्ट्र बॉर्डर के गाँव में निकलते है हर दिन 25 से 30 कुर्सी बेंच लेते है पिंटू ने बताया अब अन्दर के क्षेत्र में नक्सालियों की दहशत नहीं है. वे अन्दर-अन्दर तक जाते हैं, उन्होंने कोई नहीं मिलता है. ग्रामीण भी उनसे खुलकर बात करते हैं. 

यह भी पढ़ें