CG NEWS- बेशुमार दौलत चाह और इसके लिए किसी अनजान खजाने की तलाश... इससे जुड़ी कहानियां इंसान को हमेशा रोमांचित करती रही हैं. एक ऐसी ही कहानी छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले (Sakti District) के जनपद पंचायत जैजैपुर (Jaijaipur) अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत काशीगढ़ (Kashigarh) से भी जुड़ी है. यहां लोग वर्षों से किसी अकूत संपत्ति के लिए खुदाई में अपनी पूरी ताकत खपा रहे हैं. सरकार ने भी यहां दो करोड़ रुपये खर्च कर दिए, लेकिन हासिल क्या हुआ? आगे पढ़ें...
काशीगढ़ में मौजूद गढ़ हजारों सालों से धार्मिक और राजकीय परंपरा का प्रतीक बना हुआ है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार मंदिर के नीचे सोना और काले हीरा का भंडार है. यहां समय समय पर कई लोग खुदाई कर चुके हैं.
सोना-चांदी और हीरे-मोती की सदियों से है तलाश
गढ़ में सोने, चांदी, हीरे, मोती के हंडा की कहानी हर किसी के जुबान पर है. काशीगढ़ के प्रसिद्ध मां महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir Kashigarh) परिसर में स्थित कुम्हार राजा का महल जो समय के साथ एक टीले में तब्दील हो गया है, इसे लेकर भी यहां कई तरह की बातें प्रचलित हैं. यहां आज भी जमीन के भीतर हंडा गंगार में सोने-चांदी के आभूषण होने की कहानी आम है. यही वजह है कि समय-समय पर लोग चोरी छिपे उस स्थान पर कई तरह के विधि-विधान से पूजा कर गंगार खोजते नजर आते हैं.
सरकार ने खर्च कर दिए दो करोड़
ग्रामीणों ने बताया कि गढ़ की कई तरह की मान्यताएं हैं जो गांव को खास पहचान दिलाती है. ग्रामीणों की मांग है कि सरकार इस पर शोध कर गढ़ की पहचान समूचे देश में स्थापित करे. बते दें कि लोग खजाने की तलाश में आए दिन यहां खुदाई करते हैं, लिहाजा सरकार ने इस पर रोक लगाने के उद्देश्य से इस इलाके की घेराबंदी कर दी. यहां के ग्रामीणों का कहना है कि पुरातत्व विभाग ने पूरे गढ़ को दो करोड़ रुपये खर्च कर पत्थरों की दीवार से घेर दिया है, लेकिन इतने खर्च करने के बाद विभाग इस गांव को भूल गया है. विभाग को चाहिए कि इस जगह का अच्छे से परीक्षण करा कर गढ़ के सच्चाई लोगो के सामने लाए.
खुदाई में आज भी मिलती हैं ये चीजें
गढ़ में आज भी किसान जब जुताई करते हैं तो जमीन के अंदर से हजारों साल पुराने मिट्टी के बर्तन, दीये सहित अन्य कई तरह के छोटे-छोटे बर्तनों के अवशेष मिलते हैं. गढ़ में स्थित महामाया मंदिर के पुजारी रथराम भैना बताते है कि पांच से सात पीढ़ी से उनके पूर्वज मंदिर में पूजा अर्चना करते आ रहे हैं. पुजारी और ग्राम बैगा ने बताया कि मन्दिर के नीचे पुराना मंदिर है जो समय के साथ आज दब गया है. ग्रामीणों ने यह भी बताया कि यहां लोग खुदाई तो करते हैं लेकिन धन की तलाश में आज भी सफल नहीं हो पाए हैं.
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