Chhattisgarh Liquor Scam: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे चैतन्य बघेल को आज एसीबी-ईओडब्ल्यू की विशेष कोर्ट में पेश किया गया है. कोर्ट ने चैतन्य बघेल को 13 अक्टूबर तक न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा.
बता दें कि ईओडब्ल्यू ने चैतन्य बघेल को 13 दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ की है. रिमांड खत्म होने पर आज उन्हें कोर्ट में पेश किया गया. चैतन्य को 13 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया. वहीं चैतन्य बघेल के बेल के लिए ईओडब्ल्यू कोर्ट में जमानत याचिका लगाई गई है, जिस पर सुनवाई 8 अक्टूबर 2025 को होगी.
छत्तीसगढ़ का 3200 करोड़ रुपए का शराब घोटाला राज्य के इतिहास का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला माना जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घोटाला भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल (2019–2022) के दौरान नई आबकारी नीति में किए गए बदलावों से शुरू हुआ।
घोटाले की शुरुआत –2019
साल 2019 में कांग्रेस सरकार ने राज्य की आबकारी नीति (Excise Policy) में बड़ा बदलाव किया। सरकार ने शराब की खरीद, वितरण और बिक्री पर पूर्ण नियंत्रण ले लिया। इस बदलाव के बाद कथित रूप से नकली शराब की सप्लाई, नकद लेन-देन और शराब माफियाओं को फेवर देने का सिलसिला शुरू हुआ।
कैसे चला समानांतर सिस्टम?
ईडी की जांच में सामने आया कि इस नीति के तहत सरकारी सिस्टम के समानांतर एक अवैध नेटवर्क तैयार किया गया। इसमें सरकारी अधिकारी, राजनीतिक नेता और कारोबारी शामिल थे। नकली होलोग्राम्स, गलत बिलिंग और ज्यादा शराब उत्पादन और बिक्री जैसे तरीकों से सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया।
मुख्य आरोपी
इस घोटाले में कई वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं के नाम सामने आए हैं, जिनमें प्रमुख हैं. इनमें अनिल टुटेजा (पूर्व IAS अधिकारी), अरुण पति त्रिपाठी (CSMCL के पूर्व MD), अनवर ढेबर (रायपुर के कारोबारी), चैतन्य बघेल (पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे), ईडी के अनुसार, चैतन्य बघेल पर लगभग ₹1000 करोड़ रुपए को चैनलाइज करने का आरोप है।
कोर्ट की कार्रवाई
ईओडब्ल्यू-एसीबी की विशेष अदालत में इस मामले की सुनवाई चल रही है। 29 आबकारी अधिकारियों को आरोपी बनाया गया। कई अधिकारियों की कोर्ट में गैरहाजिरी पर जमानती वारंट जारी किया गया है। अगर वे अगली सुनवाई (23 सितंबर) को पेश नहीं हुए, तो गिरफ्तारी वारंट जारी होगा। चैतन्य बघेल को 13 अक्टूबर तक न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है, जबकि उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी।
घोटाले की कुल रकम
ईडी के अनुसार, शराब सिंडिकेट ने सरकारी सिस्टम का दुरुपयोग कर करीब ₹3200 करोड़ का घोटाला किया। यह रकम नकली बिलिंग, अवैध सप्लाई और फर्जी खातों के जरिए विभिन्न चैनलों से बाहर भेजी गई।