बघेल से बदला या पार्टी को बचाने में जुटे जोगी? छजकां और भाजपा के राजनीतिक कॉकटेल से क्या बदलेगा कोरबा का चुनावी समीकरण!

Lok Sabha Election 2024: अजीत जोगी द्वारा गठित छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस पार्टी के गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के नेता और कार्यकर्ताओं का 20 अप्रैल को भाजपा में शामिल होने की छत्तीसगढ़ में अटकलें लगाई जा रही है.

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छजकां का भाजपा में शामिल होने के बाद क्या बदल जाएगा कोरबा का चुनावी समीकरण.

सियासी मोहब्बतें मुलाकातों की मोहताज होती हैं. बीते कुछ दिनों पहले छत्तीसगढ़ से दिल्ली तक एक ऐसी ही मुलाकात की खूब चर्चा हुई थी. ये मुलाकात थी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के मुखिया अमित जोगी (Amit Jogi) और भाजपा (Bharatiya Janata Party) नेता अमित शाह (Amit Shah) की. शाह और जोगी फूल के बुके के साथ नजर आए थे. अब ऐसी ही चर्चाएं एक बार फिर सियासी गलियारों से सुर्खियां बनीं हुई है. ये चर्चा है दो दलों के सियासी मोहब्बत की. दरअसल, अटकलें हैं कि अजीत जोगी द्वारा गठित छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (Janta Congress Chhattisgarh) पार्टी के गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के नेता और कार्यकर्ता 20 अप्रैल को भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं.

क्या कोरबा लोकसभा क्षेत्र में बदल जाएगा चुनावी समीकरण?

वहीं इन अटकलों के बीच राजनीतिज्ञों का कहना है कि छजकां और भाजपा का यह चुनावी कॉकटेल कोरबा लोकसभा क्षेत्र के चुनावी समीकरण को बदल जाएगा. लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर हो रहे इस बड़े राजनीतिक उलट फेर से एक बार फिर कांग्रेस (Congress) को बड़ा झटका मिलने की उम्मीद है. साथ ही पार्टी के राजनीतिक ताना-बाना पूरी तरह से धराशायी हो जाएगा. वहीं लोकसभा चुनाव के बीच छजकां कार्यकर्ताओं और नेताओं का भाजपा में विलय बीजेपी की बड़ी राजनीतिक जीत मानी जा रही है.

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बीजेपी नेता सरोज पांडे और कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत के बीच कड़ी टक्कर

बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे नए-नए राजनीतिक समीकरण देखने और सुनने को मिल रहे हैं. छत्तीसगढ़ की हाई प्रोफाइल कोरबा लोकसभा सीट पर दिग्गज बीजेपी नेता सरोज पांडे और वर्तमान सांसद व कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत के बीच कड़ी टक्कर है. सरोज पांडे जहां एक और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, पूर्व राष्ट्रीय महिला मोर्चा की अध्यक्ष पूर्व महापौर पूर्व विधायक पूर्व सांसद व वर्तमान राज्यसभा सदस्य होने के कारण राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान है. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्स्ना महंत पूर्व विधानसभा अध्यक्ष छत्तीसगढ़ और नेता प्रतिपक्ष छत्तीसगढ़ की पत्नी है और वर्तमान में कोरबा की सांसद है.

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जोगी का गढ़ माना जाता है कोरबा सीट

इतना ही नहीं कोरबा सीट जोगी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती है. इस तरह दोनों ही प्रत्याशी राजनीतिक रूप से सक्षम है और पूरे छत्तीसगढ़ सहित भारत के राजनीतिक पटल पर इस लोकसभा सीट पर सबकी नजर है. हालांकि कोरबा लोकसभा क्षेत्र में मतदान होने में अभी लगभग 18 दिन शेष हैं. ऐसे में दोनों ही पार्टियां एक दूसरे को राजनीतिक रूप से शह और मात देने में जुटी हुई है.

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क्या जोगी के हरी झंडी के बाद जेसीसी संगठन हो रही है भाजपा में शामिल?

वहीं सूत्रों के अनुसार, जेसीसी पार्टी गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के नेता और कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा में शामिल होंगे. इस दौरान कोरबा लोकसभा क्षेत्र की भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडे सहित छत्तीसगढ़ भाजपा सरकार के दिग्गज मंत्री और नेताओं के उपस्थित होने की भी खबर है, जो जीसीसी कार्यकर्ताओं को स्वागत करेंगे. हालांकि अभी ये पुष्टि नहीं हो पायी है कि इन नेताओं के शामिल होने के समय छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी रहेंगे या नहीं? लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि उनके द्वारा हरी झंडी दिए जाने के बाद ही पूरे गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले का जेसीसी संगठन सामूहिक रूप से भाजपा में शामिल होने जा रही है. अगर ये अटकलें सच साबित हुई तो लोकसभा चुनाव 2024 कि यह बड़ी राजनीतिक घटना मानी जाएगी जो कोरबा लोकसभा चुनाव परिणाम को पूरी तरह से प्रभावित करेगा.

2001 से रहा ये जोगी का गढ़

दरअसल, इस अनुमान के पीछे कारण यह है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी द्वारा 23 जून, 2016 को गठित छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी) संगठन की गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में विशेष प्रभाव है. खासकर के मरवाही विधानसभा क्षेत्र, जहां पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी विधायक रहे हैं. वहां छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी पार्टी पार्टी की गहरी पैठ है.

जाति प्रमाण पत्र रद्द होने से अमित जोगी नहीं लड़ पाये थे चुनाव

मरवाही के बारे में आज भी कहा जाता है कि जोगी के नहीं रहने के बाद भी यहां के लोगों के दिलों में जोगी का राज चलता है. साल 2001 में पहली बार अजीत जोगी मरवाही से विधायक चुने गए. वहीं साल 2013 से 2018 तक यहां अमित जोगी विधायक रहे. अजीत जोगी की मृत्यु के पश्चात हुए मरवाही विधानसभा उपचुनाव में अमित जोगी यहां से चुनाव  लड़ना चाहते थे, लेकिन उस दौरान जिला निर्वाचन अधिकारी ने अमित जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया, जिसके चलते उनकी  नामांकन रद्द हो गई. हालांकि इस उप चुनाव में कांग्रेस विधायक डॉक्टर के के ध्रुव चुनाव जीते थे.

ढाई साल के कार्यकाल के बाद जब साल 2023 में पुनः आम चुनाव हुए तब छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी पार्टी ने अपना प्रत्याशी गुलाब राज को बनाया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. दरअसल, 2023 के चुनाव के दौरान गुलाब राज दूसरे स्थान पर रहे थे और उन्हें विधानसभा चुनाव में 39882 मत मिले थे, जबकि कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी और पार्टी को 39221 वोट मिले थे. वहीं भारतीय जनता पार्टी इस सीट से जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी और बीजेपी प्रत्याशी प्रणब मरपच्ची को 51960 मत मिले थे. ऐसे में वोटो का यह आंकड़ा साफ दर्शाता है कि मरवाही विधानसभा क्षेत्र में आज भी जीसीसी का गढ़ है.

क्या भूपेश बघेल से राजनीतिक हिसाब किताब पूरा कर रहे हैं अमित जोगी?

वैसे तो यह माना जा रहा है कि राजनीतिक क्षेत्र में जो भी लोग हैं. उनका उद्देश्य राजनीतिक सत्ता हासिल करना है और उसे हासिल करने के लिए राजनीतिज्ञ समझौते भी करते हैं, लेकिन अपने पिता अजीत जोगी के मृत्यु के बाद हुए विधानसभा उपचुनाव में चुनाव लड़ने से वंचित रहे अमित जोगी का उद्देश्य अब सत्ता पाना नहीं, बल्कि अपने विरोधी को सत्ता से वंचित करना है.

मरवाही विधानसभा उपचुनाव में चुनाव लड़ने से वंचित रहने के बाद से ही अमित जोगी की रणनीति कुछ बदली बदली सी नजर आती रही है. दरअसल, विधानसभा चुनाव 2023 में भी वे उन जगहों पर अपनी पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी का विशेष प्रचार किया, जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विश्वासपात्र कांग्रेस नेता चुनाव लड़ रहे थे और स्वयं खुद सुरक्षित सीट न तलाश करके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पाटन विधानसभा सीट से ही उन्हें चुनौती देने चले गए, जिसके कारण पूरे चुनाव में भूपेश बघेल को रोज शाम चुनाव प्रचार के बाद अपने पाटन विधानसभा क्षेत्र आना पड़ता था.

अमित जोगी की वजह से चुनाव प्रचार नहीं कर पाये थे बघेल

अमित जोगी की पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस से घिर जाने के कारण भूपेश बघेल पूरे छत्तीसगढ़ में ठीक ढंग से प्रचार-प्रसार नहीं कर सके और  इसका लाभ सीधा भाजपा पार्टी को मिला और बीजेपी एक बार फिर साल 2023 के विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने में कामयाब रही. अब वही रणनीति अपनाते हुए अमित जोगी जो राजनीतिक बिसातें बिछा रहे हैं, उससे ये साफ दिख रहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान पूरे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को बड़ा नुकसान हेने वाला है. साथ ही भारतीय जनता पार्टी को जबरदस्त फायदा मिलने की संभावना दिखाई दे रही है.

अपमान का दर्द नहीं भूला पाए अमित जोगी

छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी पार्टी के अध्यक्ष अमित जोगी की राजनीतिक बिसात जिस तरह से बिछी हुई है, उससे राजनीतिक जानकार यह अनुमान लग रहे हैं कि अमित जोगी अपने उस अपमान का बदला भूपेश बघेल से ले रहे हैं जो उन्हें उनके पिता की मृत्यु के समय भूपेश बघेल ने दिया था. जिसमें उन्हें जाति प्रमाण पत्र होने के बावजूद भी चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया गया था. जबकि यह उनके पिता की मृत्यु से रिक्त हुई मरवाही सीट की बात थी. अपमान के उस दर्द को शायद अभी तक अमित जोगी भूला नहीं पाए हैं और एक के बाद एक ऐसे निर्णय ले रहे हैं जो उन लोगों के लिए नुकसानदायक हो, जिन्होंने अपनी पिता की मृत्यु के बाद रिक्त हुई मरवाही सीट पर विधानसभा उपचुनाव लड़ने से वंचित किया था.

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