IPS जीपी सिंह और उनकी पत्नी को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से राहत, एसीबी का मामला रद्द

एसीबी का दावा था कि यह सोना जीपी सिंह की अवैध संपत्ति का हिस्सा था, जिसे खपाने की कोशिश की जा रही थी. इस मामले में जीपी सिंह के अलावा उनकी पत्नी, माता-पिता और अन्य रिश्तेदारों को भी आरोपित किया गया था.

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IPS GP Singh: छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह और उनकी पत्नी मनप्रीत कौर के खिलाफ कांग्रेस सरकार के दौरान दर्ज आय से अधिक संपत्ति का मामला हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई. कोर्ट ने पाया कि एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने मामले में आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया.

आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज

1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह और उनके परिवार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला एसीबी ने दर्ज किया था. आरोप था कि उन्होंने अपनी अवैध कमाई को छिपाने के लिए अपने परिचितों और परिवार के सदस्यों की मदद ली. जांच के दौरान एसीबी ने स्टेट बैंक के मैनेजर मणिभूषण से दो किलो सोना जब्त किया था. यह सोना कथित रूप से एक स्कूटी में छुपाकर रखा गया था.

एसीबी का दावा था कि यह सोना जीपी सिंह की अवैध संपत्ति का हिस्सा था, जिसे खपाने की कोशिश की जा रही थी. इस मामले में जीपी सिंह के अलावा उनकी पत्नी, माता-पिता और अन्य रिश्तेदारों को भी आरोपित किया गया था. हालांकि बाद में कोर्ट ने जीपी सिंह और उनके माता-पिता के खिलाफ मामले को रद्द कर दिया.

पत्नी मनप्रीत कौर के खिलाफ आरोप

जीपी सिंह की पत्नी मनप्रीत कौर पर आरोप था कि उन्होंने अपने पति को अवैध संपत्ति अर्जित करने के लिए प्रेरित किया. इसके अलावा उन्हें अपनी आय का स्रोत स्पष्ट न करने के लिए भी जिम्मेदार ठहराया गया.एसीबी ने उनकी 10 साल की आय का सही तरीके से आकलन नहीं किया.

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मनप्रीत कौर ने कोर्ट में दिया ये हवाला

मनप्रीत कौर ने कोर्ट में अपनी आय के स्रोत को स्पष्ट किया. उन्होंने बताया कि वे एक शिक्षित और आत्मनिर्भर महिला हैं. उन्होंने एमएससी (लाइफ साइंस) और पीएचडी की पढ़ाई की है. शादी से पहले और बाद में उन्होंने ट्यूशन, गेस्ट लेक्चरर और कंसल्टेंसी के जरिए अपनी आय अर्जित की. उन्होंने 2001 से नियमित रूप से आयकर रिटर्न दाखिल किया है.

मनप्रीत कौर के वकीलों ने कोर्ट को बताया कि एसीबी ने जांच के दौरान न तो उन्हें समन भेजा और न ही उनका बयान दर्ज किया. इसके बावजूद उन्हें इस मामले में घसीटा गया. कोर्ट ने पाया कि जीपी सिंह के खिलाफ मामला पहले ही रद्द हो चुका है. ऐसे में उनकी पत्नी के खिलाफ मामला बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं है.

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चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सभी दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि एफआईआर को रद्द करना न्यायसंगत है. इस फैसले के साथ जीपी सिंह और उनके परिवार को बड़ी राहत मिली है.

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