छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से पूर्व कलेक्टर रानू साहू को झटका, अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज

Ranu Sahu bail rejected: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पूर्व कलेक्टर रानू साहू की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. उन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और उन्हें रायपुर की केंद्रीय जेल में रखा गया है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है.

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से पूर्व कलेक्टर रानू साहू को झटका, अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज
पूर्व कलेक्टर रानू साहू

Former Collector Ranu Sahu: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कोल लेवी घोटाले में संलिप्तता के आरोपों का सामना कर रहीं पूर्व कलेक्टर व आईएएस अधिकारी रानू साहू की दो अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अपराध की गंभीरता और अन्य कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया. वर्तमान में रानू साहू रायपुर की केंद्रीय जेल में बंद हैं.

रानू साहू ने संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में दो अग्रिम जमानत याचिकाएं दायर की थीं, जिन पर जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की सिंगल बेंच ने सुनवाई की. इन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद 31 जनवरी 2025 को फैसला सुरक्षित रखा गया था, जिसे शुक्रवार को सुनाया गया. अदालत ने जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिससे उन्हें कोई राहत नहीं मिली.

क्या हैं आरोप?

रानू साहू पर आरोप है कि उन्होंने और उनके परिवार ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है. इसके अलावा, उन्होंने सूर्यकांत तिवारी के कोयला लेवी सिंडिकेट का सहयोग किया, जो कोयला डिलीवरी ऑर्डर पर परमिट जारी करने के लिए प्रति टन 25 रुपए की अवैध वसूली करता था.

शिकायत के अनुसार, 2015 से 2022 के बीच रानू साहू और उनके परिवार ने 24 अचल संपत्तियां खरीदीं. 2011 से 2022 तक उन्हें वेतन के रूप में 92 लाख रुपये प्राप्त हुए, जबकि उन्होंने 3.93 करोड़ रुपये की संपत्तियां अर्जित कीं. इस पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(2) और 13(1)(बी) तथा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120बी और 420 के तहत मामला दर्ज किया गया.

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मनी लॉन्ड्रिंग का मामला

इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है. जांच के दौरान यह सामने आया कि उन्होंने सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी और अन्य लोगों के साथ मिलकर कोयला व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों से प्रति टन 25 रुपए की दर से अवैध वसूली की. इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने अपराध दर्ज किया था.

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