Tobacco Products: स्कूलों के पास तंबाकू उत्पाद बिकने पर हाईकोर्ट सख्त, मुख्य सचिव बताएं, 'बच्चे नशेड़ी हो गए तो...'

Anti Tobacco Step: स्कूलों के पास तंबाकू उत्पाद बेचे जाने के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया है. कोर्ट ने इस बच्चों को नशेड़ी बनाने वाला कृत्य मानते हुए सरकार से जवाब तलब किया है.

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Tobacco Products News: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय (Chhattisgarh High Court) ने स्कूलों के आसपास तंबाकू उत्पादों की बिक्री को लेकर गहरी चिंता जताई है. मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा (Ramesh Kumar Sinha) और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद (Amitendra Kishor prasad) की युगल पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि कोटपा (COTPA) कानून लागू है, तो इसका सख्ती से पालन होना चाहिए.

मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर दर्ज की गई जनहित याचिका

यह मामला तब सामने आया, जब 15 नवंबर 2024 को छुट्टी के दिन मुख्य न्यायाधीश ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि मीडिया रिपोर्टों को आधार बनाकर इसे जनहित याचिका (पीआईएल) के रूप में दर्ज किया जाए. इन रिपोर्टों में खुलासा किया गया था कि बिलासपुर में सरकारी और निजी स्कूलों के पास खुलेआम तंबाकू उत्पाद बेचे जा रहे हैं.

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राज्य सरकार को नोटिस

इसके बाद इन गतिविधियों ने स्कूलों के आसपास के माहौल को खराब करने के साथ ही छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव डालने की आशंका जताई. बच्चों में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए अदालत ने तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता बताई. अदालत ने इस गंभीर मुद्दे पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथ पत्र में जवाब देने को कहा. सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भारत ने बताया कि जिला प्रशासन ने कोटपा कानून के उल्लंघन के मामलों में कार्रवाई की है. बिलासपुर में संबंधित दुकानों पर जुर्माना लगाया गया है और कानून का पालन सुनिश्चित किया जा रहा है.

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अगली सुनवाई की तारीख तय

मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने इस मामले में राज्य सरकार और नगर निगम बिलासपुर से सख्त जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 5 दिसंबर 2024 को होगी.

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क्या है कोटपा कानून?

कोटपा (Cigarettes and Other Tobacco Products Act) कानून, सार्वजनिक स्थलों पर तंबाकू उत्पादों की बिक्री और उपयोग को प्रतिबंधित करता है. स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों के 100 मीटर के दायरे में तंबाकू उत्पाद बेचना पूरी तरह से अवैध है.

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हाईकोर्ट का संदेश

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट कर दिया है कि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता है. स्कूलों के आसपास के क्षेत्रों को नशा मुक्त बनाना समाज और प्रशासन की साझा जिम्मेदारी है.

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