Chhattisgarh News: यहां सरकारी अस्पताल में इलाज की जगह पर हुई चिकन पार्टी, वीडियो हुआ वायरल

Chhattisgarh Health News: छत्तीसगढ़ के दुर्ग (Durg) जिले के धमधा ब्लॉक के कन्हारपुरी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Primary Health Centre) से शर्मनाक तस्वीर सामने आई है. यहां जिन डॉक्टरों पर मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी है, वह अस्पताल में चिकन पकाने और चिकन पार्टी के लिए चर्चा में हैं. जानें- क्या है पूरा मामला?

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Chhattisgarh Health Services: छत्तीसगढ़ के दुर्ग (Durg) जिले से सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की शर्मनाक तस्वीर सामने आई है. धमधा ब्लॉक के कन्हारपुरी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Primary Health Centre) में मरीजों के इलाज के बजाय चिकन पार्टी का आयोजन किया. डॉक्टरों और कर्मचारियों ने अस्पताल के वार्ड में चूल्हा जलाकर मुर्गा-चावल पकाया और जमकर दावत उड़ाई.

यह घटना मंगलवार की बताई जा रही है, जब PHC को कार्य समय से पहले दोपहर में ही बंद कर दिया गया. इसके बाद डॉक्टरों और कर्मचारियों ने मरीजों के बेड के बगल में चूल्हा जलाकर चिकन बनाया. बताया जा रहा है कि पार्टी का यह दौर दोपहर 3 बजे शुरू होकर देर शाम तक चला. इसमें डॉक्टर, प्रोग्राम मैनेजर, कम्पाउंडर समेत कुल 13 कर्मचारियों ने हिस्सा लिया.

घटना का वीडियो हो रहा है वायरल

इस पूरी घटना का वीडियो बना कर किसी ने वायरल कर दिया है, जिसमें डॉक्टर और कर्मचारी मुर्गा-चावल का आनंद लेते नजर आ रहे हैं. वीडियो वायरल होते ही यह मामला सुर्खियों में आ गया है. वीडियो में डॉक्टर और अन्य स्टाफ वार्ड के अंदर मजे से भोजन करते नजर आ रहे हैं. मरीजों और अस्पताल की अनदेखी की यह घटना सुर्खियों में आ गई है.

सीएमएचओ हुए सख्त

घटना पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) मनोज दानी ने नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने घटना को गंभीरता से लेते हुए जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है. इसके साथ ही उन्होंने जांच के आदेश दे दिए है. उन्होंने कहा कि यह मामला गंभीर है. दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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पहले भी हो चुकी ऐसी घटना

दरअसल, यह पहली बार नहीं है, जब धमधा में ऐसी घटना हुई हो. इससे पहले भी यहां शराब पार्टी और चिकन पार्टी के वीडियो सामने आ चुके हैं, जिसके बाद कर्मचारियों को निलंबित और बर्खास्त किया गया था.

खड़े हो रहे कई सवाल

  • स्वास्थ्य सेवाओं का मजाक: सरकारी अस्पताल मरीजों के इलाज के लिए बनाए गए हैं, लेकिन यह घटना उनकी प्राथमिकता पर सवाल खड़ा करती है.
  • प्रशासनिक लापरवाही: बार-बार ऐसे मामले सामने आने के बावजूद कड़ी निगरानी क्यों नहीं की जा रही?
  • मरीजों का क्या होगा: जो मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे थे, उनका समय और भरोसा दोनों बर्बाद किया गया. ऐसे में मरीजों का भरोसा कैसे बहाल होगा?

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इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं में तैनात डॉक्टरों और कर्मचारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. अब देखना यह है कि प्रशासन दोषियों पर क्या कार्रवाई करता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं.

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